हसीन दर्द जो कहना चाहते हो हमसे वह कह भी लो, ऑंखों के आशियाने में हमारे…
Tag: अंक-4
समीक्षा-मन्नू भंडारी जायेगा मंगल पर
मन्नू भंडारी जायेगा मंगल पर व्यंग्य और हास्य के बीच एवं बारीक रेखा होती है जो…
रेखराम साहू की कविता
बस्तर की पीड़ा किसे कहें बस्तर की पीड़ा कौन सुने इसकी चित्कार आज यहां के जनमानस…
बातचीत : नसीम आलम ‘नारवी’
बस्तर पाति-किसी ‘पहुंच’ वाले को साहित्यिक कार्यक्रम की आसंदी देना कहां तक उचित है? नारवी जी-कोई…
रश्मि पाठक की कवितायेँ
मालूम होगा शायद तुम जो यहां बैठे अख़बारों में ख़बरें ढूंढ़ा करते हो ख़बरें जो लिखीं…
यशवंत गौतम की कविता
खामोशी साल-सरई जंगल-खेत घोटुल-मांदर-रेला गीत सब खामोश जिन्दगी खामोश ऐसे में सूरज कांपता दे जाता है…
अज्ञेयः अन्वेषी पत्रकारिता के समर्थ शिल्पी–डॉ. पी.एन.द्विवेदी
अज्ञेयः अन्वेषी पत्रकारिता के समर्थ शिल्पी अज्ञेय जी का जन्म फागुन शुक्ल सप्तमी, संवत 1967 यानी…
परिचय : नसीम आलम ‘नारवी’-लोकबाबू
देखो देखो आफ़ताब रहा भिलाई इस्पात संयत्र को कच्चा लोहा उपलब्ध कराने वाली खदानों से घिरी…
यादव विकास की ग़ज़लें
ग़ज़ल चलने वाले जरा देख कर, हादसों से भरा है सफ़र। रखिए हालात मद्देनज़र, कौन देता…
अंक-4-कविता कैसे बदले तेरा रूप
कविता का रूप कैसे बदलता है देखें जरा। नये रचनाकार ने लिखा था, नवीन प्रयास था…