रेखराम साहू की कविता

बस्तर की पीड़ा

किसे कहें बस्तर की पीड़ा
कौन सुने इसकी चित्कार
आज यहां के जनमानस में
मचा हुआ हाहाकार।

राजनेता तो यहां
बस वोट भुनाने आते हैं
काम है जिनका रक्षा करना
भक्षक वो ही बन जाते हैं
नौकरशाह भी लोगों पर
कर रहे हैं अत्याचार।

हरी-भरी ये धरती
लहू से रोज नहाती है
बंदूकों की गोलियां
यहां कितनी लाशें बिछाती है
हर तरफ छाया है मातम
हर तरफ बस चीख पुकार।

रेखराम साहू
शा.इंजीनियरींग महाविद्यालय
जगदलपुर
जिला-बस्तर छ.ग.
फोन-8878448906