कृपाल देवांगन की कवितायेँ

हसीन दर्द

जो कहना चाहते हो हमसे वह कह भी लो,
ऑंखों के आशियाने में हमारे तुम ज़रा रह भी लो।
जानना चाहते हो कि मोहब्बत की हवा किस तरह
बहती है,
तो तुम इन हवाओं में पंछियों की तरह बह भी लो।
हमसे मोहब्बत करके दर्द दूरियों का सहा
न जाए अगर तुमसे,
तुम भी हमारी तरह मोहब्बत कर हसीन दर्द सह भी लो।

 

तुम वादा किये जा रहे हो

मेरे हाथों से हाथ अपने तुम छोड़े चले
जा रहे हो,
बाहों के दरम्यान तुम फासले बढ़ाते चले
जा रहे हो।
वापस आकर मेरी बांहों में रहने का एहसास
दे जाओ,
तुम जो कुछ लम्हों के लिये हमसे दूर होते चले
जा रहे हो।
हमसे दूर तो शायद तुम भी न जाना
चाहोगे,
फिर भी जाते-जाते हमसे मिलने का तुम वादा
किये जा रहे हो।

 

कृपाल देवांगन
बी0एस0सी0 द्वितीय
नागवंशी कॉलोनी
कंगोली, धरमपुरा
क्राइस्ट कॉलेज, जगदलपुर
मो0नं0 8349141104