क्षणिकाएं 1 सुख के दिन उड़े फुर्र से सुख के दिन ज्यों उड़ी गौरैय्या टहनी पर…
Category: क्षणिका
क्षणिका-डॉ जयसिंह अलवरी
निर्दोष वह न चोर था न कातिल न गुनाहगार फिर भी उसे दोषी ठहराया गया क्योंकि…
व्यंग्किाएं
व्यंग्किाएं नसीहत मैंने, एक भ्रष्टाचारी की लानत मलानत की…! और ऊपर से अच्छी नसीहत दी…! उसने…
व्यंगिकाएं-अविनाश ब्योहार
व्यंगिकाएं आधे-अधूरे नेता जी ने खूब कालाधन कमाया! और धीरे से उसे स्विस बैंक में पहुंचाया!!…