पदमश्री धर्मपाल सैनी की कवितायेँ पृच्छा -1- काम पृच्छा आयु में अमर है, अस्तित्व हित…
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काव्य-सुनीता दमयंती
झेंपता हुआ हर रात के बाद जागता है सूरज ठंड के धुंधलके में अंगार सा जलता-बुझता,…
काव्य-श्रीमती शैल दुबे
शक्ति स्वरूपा बेटियां शक्ति स्वरूपा वजूद तुम्हारा नई सदी ने अब स्वीकारा। दो ही फूल से…
काव्य-राम नारायण मीणा ‘मित्र’
मातृत्व का अधिकार यूं तो आज भी हम भारतीय संस्कृति का बिम्ब मातृत्व के आइने में…
रश्मि पाठक की कवितायेँ
मालूम होगा शायद तुम जो यहां बैठे अख़बारों में ख़बरें ढूंढ़ा करते हो ख़बरें जो लिखीं…
हाइकू-गोपीनाथ कालभोर
भक्ति बाहर भीतर कुछ और शक्ति का घर। भगवान भी खुश उस पर है जो राक्षस…
अंक-2-हिमांशु शेखर झा की कविता फेसबुक वाल से
औक़ात इन बेहद गर्म दिनों बड़ी औकात है सूरज की पर मज़दूर लछमन के सामने क्या…
काव्य-शिवेंद्र यादव
कल के खेल कभी हम खेला करते थे खिलौनों से,धूल-मिट्टी,पत्तों,डालों से खुले मैंदानों में। बाबा बताते…
अंक-2-गिरीश पंकज की कविता फेसबुक वाल से
इतनी कुंठा और निराशा ठीक नहीं सबको गाली देती भाषा ठीक नहीं। आप बड़े ज्ञानी-ध्यानी हैं…
काव्य-हरेन्द्र यादव
तपती दोपहरी बियावन कानन है तपती दोपहरी चिट-चिटिर करती फुदकती गिलहरी बरगद की डाली में यहां-वहां…