काव्य-शिवेंद्र यादव

कल के खेल

कभी हम खेला करते थे
खिलौनों से,धूल-मिट्टी,पत्तों,डालों से
खुले मैंदानों में।
बाबा बताते हैं
वो भी ऐसे ही खेला करते थे,
पर आज मेरा बाबू(बच्चा)
खेलता है
विद्युत उपकरणों से
घर के अंदर
कम्प्यूटर और मोबाइलां से।
कल इनके बाबू
किससे खेलेंगे
उपकरणों से, खिलौनां से
पत्तां, डालों से
या ?
शायद अतीत की कहानी
उन्हें तब याद आयेगी
जब समय की नाव
सागर पार कर जायेगी।


शिवेन्द्र यादव
केन्द्रीय विद्यालय, हाटकचोरा जगदलपुर
सं. शि. मोब.-9981019689