अंक-2-हिमांशु शेखर झा की कविता फेसबुक वाल से

औक़ात

इन बेहद गर्म दिनों
बड़ी औकात है सूरज की
पर मज़दूर लछमन के सामने
क्या बिसात इसकी….
लू-लपट-घाम में झुलस रहा
लछमन अपने माथे पर
फेरेगा एक अंगुली बस….
टपक पड़ेगा सूरज
उसी वक्त
ज़मीन पर….


हिमांशु शेखर झा की वाल से दिनांक
5 सितम्बर 2014