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औक़ात
इन बेहद गर्म दिनों बड़ी औकात है सूरज की पर मज़दूर लछमन के सामने क्या बिसात इसकी…. लू-लपट-घाम में झुलस रहा लछमन अपने माथे पर फेरेगा एक अंगुली बस…. टपक पड़ेगा सूरज उसी वक्त ज़मीन पर….
हिमांशु शेखर झा की वाल से दिनांक 5 सितम्बर 2014