अब तक कुछ भी नहीं मिला है सड़सठ सालों में भारत को आजाद करने लाखों ने…
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श्रीमती शैल चन्द्रा की कवितायेँ
शहरों से होड़ लेता गांव गांव अब नहीं रह गया गांव शहरों से होड़ लेता फिर…
डॉ.श्रीहरि वाणी की कवितायेँ
इन्द्र धनुष के साए में…… इन्द्र धनुष के साए में, लिखते गये अनुबंध नये मादक गंधी…
प्रीति प्रवीण खरे की कवितायेँ
द्रोपदी हाथ पकड़ कर दुश्शासन मौन सभा में लाया पांडव कुछ भी न बोले माँं का…
डॉ.सूर्यप्रकाश अष्ठाना ‘सूरज’ की ग़ज़लें
ग़ज़ल साया हटकर राहगुज़र से। अंजाना था वक्ते सफर से।। कोई तुम्हारे ग़म ना समझे, लेके…
उर्मिला आचार्य की कविता एवं हाइकू
टेढ़े-मेढ़े रास्ते पूनम की रात मेला मंडई के बाद लौट रही मां-बेटी साथ-साथ दूर गांव घर…
माधुरी राऊलकर की गज़लें
ग़ज़ल उन्हें नामों में ढ़ालने से, कुछ नहीं होता बेवजह रिश्ते पालने से, कुछ नहीं होता।…
पूर्णचंद्र रथ की कविता
सौदा घर और बाहर गूंज रहे प्रार्थनाओं के स्वर उधर सिरफिरे चंद, लुटेरे यहां वापसी की…