अब तक कुछ भी नहीं मिला है सड़सठ सालों में
भारत को आजाद करने लाखों ने बलिदान दिया,
वीरप्रसूता मांओ ने इकलौता भी संतान दिया।
गोरे अंग्रेजों को भगा के कार्य तो महान किया,
लेकिन काले अंग्रेजों के हाथों हिन्दुस्तान दिया।
पहले लड़े थे गोरों से और अब लड़ना है चोरों से
काले धन को खाने वाले काले आदमखोरों से।
पहले जालिम गोरों में थे अब दिखते हैं कालों में,
अब तक कुछ भी नहीं मिला है, हमको सड़सठ सालों में।।
गर्व था भारत भूमि का भगतसिंह की माता हूं,
झांसी की रानी जैसी मर्दानी की यशगाथा हूं।
पहले चिड़िया कहलाती थी भारतमाता सोने की,
पर अब आवाजें आती हैं इस चिड़िया के रोने की।
सोना सारा लूट लिया अब केवल चिड़िया रह गई,
झांसी की रानी की कुर्बानी, पानी में बह गई।
जनता को है नेताओं ने घोटा घोटालों में,
अब तक कुछ भी नहीं मिला है, हमको सड़सठ सालों में।।
सरकार जो वतन की हिफाजत ख़ातिर बुनी गई,
सरकार जो जनता हेतु जनता द्वारा चुनी गई।
वही सरकार अब शामिल है खुद की गुण्डागर्दी में,
मुझको गुण्डे दिखते हैं खादी व खाकी वर्दी में।
पूरा देश नजर आता है, मंडी ताजा लाशों की,
हर चौराहों से आती है, आवाजें संत्रासों की।
जालिमों ने जकड़ लिया है, जनता को जंजालों में,
अब तक कुछ भी नहीं मिला है, हमको सड़सठ सालों में।।
मुझको श्वेत खादी पे खूनी दाग दिखाई देता है,
पूरा भारत जलियांवाला बाग दिखता है।
लंडन जाकर उस डायर को मारकर जो लेटे हैं,
दिल्ली शायद भूल गयी, हम उस उधम के बेटे हैं।
कब तक जुल्मी जुल्म करेगा, आतंक गलियारों से,
जर्रा-जर्रा गूंज उठेगा, इंकलाब के नारों से।
‘जैनम’ को आशा दिखती है, तुम भारत मां के लालों में।
अब तक कुछ भी नहीं मिला है, हमको सड़सठ सालों में।।
जे.कुमार संघवी
201, राजश्री पॉम
गणेश बाग, चरई
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