जल तरंग इंद्रधनुषी रंग मन पतंग मखमल में टाट के पैबंद बेजान रिश्ते गुरू की बानी…
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काव्य-नलिन श्रीवास्तव
जंगली चट्टान की मौत मेहनत कश सॉंसों की उपलब्धि का दर्पण चटीयल-जीवन और उस पर काई…
काव्य-एस.एस.त्रिपाठी
काम, योग और भोग काम एक प्रचंड ऊर्जा ऊर्जा जीवन का पर्याय जीवन यानि गति गति…
बढ़ते कदम-शुचिता झा
शबनमी अहसास ओस से भरकर छलकती आसमांॅ की प्यास दूर बिखरा हवा में शबनमी अहसास. पर्वतों…
काव्य-जयप्रकाश राय
प्रश्न या उत्तर ? ग्यारह अगस्त दो हजार आठ भिलाई पावर हाउस रेल्वे स्टेशन अपरचित जगह…
ग़ज़ल-शमीम बहार
ग़ज़ल-1 वक्त अंधेरे में देखने वाला नहीं होता, शहर वतन में क्या-क्या नहीं होता. सुबहो-शाम ये…
बढ़ते कदम-पूजा देवांगन
बस्तर की आवाज खामोशी छाई है हरपल यहॉं चारो ओर अंधेरा है. नक्सलवाद का डंका है…
काव्य-डॉ राजाराम त्रिपाठी
कौन हो तुम लोग कौन हो तुम लोग ? जो बिना मांगे दे रहे हो- कभी…
काव्य-श्यामनारायण श्रीवास्तव
श्यामनारायण श्रीवास्तव की दो कविताएं साक्षात्कार मात्र एक देश नहीं सम्पूर्ण धरा पर कहीं भी आना…