बढ़ते कदम-पूजा देवांगन

बस्तर की आवाज

खामोशी छाई है हरपल यहॉं
चारो ओर अंधेरा है.
नक्सलवाद का डंका है बज रहा
अत्याचारियों ने हमें घेरा है.
आवाज भी उठ-उठकर थम गई
न जाने किन-किन के हाथों में मैल है
जिंदगी जिया करते थे शांति से
वही आज ले गई जेल है.
सो गई है मेरी भी बेटी
पर आवाज आज भी कम न हुई
खो गये हैं रास्ते जहांॅ
वहॉं इनकी खिड़की है खुल गई.
रोया करते हैं परिस्थितयों को लेकर
पर सन्नाटा थमा हुआ है
कुछ करना चाहें भी तो यहांॅ
पैर यहीं थमा हुआ है.
उस चुप की आवाज में
जैसे सच्चाई की आंधी है
लोग तो हैं बहुत यहॉं
पर कोई नहीं गांधी है.
हर चप्पा-चप्पा छान मारा
हर तरफ हमारे ही साये हैं
हर जगह शरीर के पुर्जे फैले
जैसे बाज ने चुन-चुनकर खाये हैं.
खामोशी का प्रपात यहॉं
तीरथगढ़ जिसे लोग कहते हैं
खतरनाक कांड हो रहे जहॉं वही दरभा घाटी है
जैसे चींटी स्वाद ले लेकर गुड़ को चाटी है.
झर-झर करता चित्रकूट
बहती नदी की धारा है
कुटुमसर की गुफा जहॉं
दर्शनीय और प्यारा है.
रिमझिम बारिश की ओट में
बस्तर भीगता जाता है जब
फुलवारी की बगिया में
हरियाली आती है तब.
चुप रहते हैं सब यहॉं
पर दिल में उठती आवाज है
लाना चाहते हैं बहुत कुछ सामने
ये यहॉं के लोगों का आगाज़ है.
संस्कृति है यहांॅ की निराली
फैली हर जाति की ख्याति है
जिनके मन के भावों को उकेरने आया है जो
उसी का नाम ‘बस्तर पाति’ है

कु. पूजा देवांगन

शा. इंजीनियरिंग महाविद्यालय
जगदलपुर छ.ग. मो.-07828349711