काव्य-जयप्रकाश राय

प्रश्न या उत्तर ?

ग्यारह अगस्त दो हजार आठ
भिलाई पावर हाउस रेल्वे स्टेशन
अपरचित जगह अपरचित चेहरे
एक रिक्शे वाले को बुलाया
और पूछा
क्या भिलाई-1 उपडाकघर चलोगे ?
हां,साहब चलूंगा.
कितना लोगे
पन्द्रह रुपये लगेंगे.
मैंने कहा,
क्या दस रुपये से काम नही चलेगा ?
उसने कहा, ”चलो आप भी क्या नाम लोगे.“
दस रुपये का नोट दिया
उसने रख लिया
मैंने पूछा,
आपकी उम्र क्या है ?
साहब! बहत्तर वर्ष
जब मै रायपुर से आता
भिलाई पावर हाउस रेल्वे स्टेशन के सामने
मेरा रास्ता निहारता
सामने गेट पर मिलता
कोई रिक्शा वाला आता तो यही कहता
साहब, मेरे रिक्शा से ही जायेंगे
इतना विश्वास
मैं उसके रिक्शा पर ही बैठता
दो वर्ष कैसे व्यतीत हो गया
पता ही नही चला
दो वर्ष बाद उसका नाम पूछा
उसने अपना नाम सुखीराम बताया
मैंने कहा , सुखीराम!
अब तो आप चौहत्तर वर्ष के होगे
उसने कहा हां साहब.
मैने पूछा
सुखीराम! क्या तुमने कुछ बचत किया है ?


उसने कहा हां साहब
मेरी तीन बेटियां हैं
दो की शादी हो गई है
एक की करनी है
यही मेरी बचत है
मै समझ गया
सुखीराम मेरा प्रश्न टाल गया
उसने बताया कि-
साहब! पहले कमाई से
कुछ बचत हो जाती थी
अब ”मंहगाई डायन खाय जात है.“
वो भी उदास हो गया
मैं भी उदास हो गया.
अब वह छिहत्तर वर्ष का हो गया है
आज भी रिक्शा चलाता है
सुखी राम………..

भूख

गरीब है पर ,रोटी नहीं,
अमीर है पर, भूख नहीं
तलाश है ,
रोटी की
या भूख की,
अपने- अपने जीवन में?

जयप्रकाश राय
दलदल सिवनी
शिवाजी नगर, मोवा, रायपुर,
मो0 94242-80776