हाइकू-रजनी साहू

जल तरंग
इंद्रधनुषी रंग
मन पतंग

मखमल में
टाट के पैबंद
बेजान रिश्ते

गुरू की बानी
सदियों पुरानी
जग ने मानी

रंग महल
बंद नौ दरवाजे
भ्रमित सारे

स्वप्न भी छल
अंतर्मन में बल
जग सरल

विश्व सृजन
पावन तन मन
हर जीवन

भयभीत हूं
अमानुषता संग
शांति है भंग

तपस्वी मन
ध्यान की गहराई
ज्ञान सघन

आग ही आग
नफरत की राग
अब तो जाग

जग की माया
हाथ कुछ न आया
मृग तृष्णा से

सुंदर तन
मन का मधुवन
निहारे जन

सिंदूरी शाम
सागर के किनारे
नया आयाम


श्रीमती रजनी साहू
एम.एस.सी.(रसायन)
बी-501कल्नवृक्ष को.हा.सोसायटी, सेक्टर-9, खांदा, न्यू पनवेल (वे)
मुम्बई, महाराष्ट्र
मो.-09892096034