काव्य-डॉ राजाराम त्रिपाठी

कौन हो तुम लोग

कौन हो तुम लोग ?
जो बिना मांगे दे रहे हो-
कभी सस्ता चावल, कभी महंगी मौत.
कभी सरपंच, कभी विधायक.
कभी नारे, कभी विकास की अंतहीन योजनाएं
कभी ढेर सारे वायदे, कभी स्कूल, कभी सड़क.
कौन हो तुम लोग ?
जो बिना मांगे दे रहे हो-
कभी सड़क, कभी स्कूल, कभी अस्पताल,
बिना गिट्टी-डामर की सड़क,
बिना शिक्षक के स्कूल,
बिना डाक्टर-दवा के अस्पताल!
ये तुम्हारे ‘करतब’ बेमतलब तो न होंगे,
बदले में हमें भी तो कुछ देना होगा,
शायद अपनी ईमानदारी, मेहनतकशीं,
आपसी भाईचारा एवं सदभाव को
ताक पर रखना होगा,
और आंख मूंद कर
वोट तुम्हें ही देना होगा.

झूठ-सच

झूठ-सच क्या है आखिर ?
एक सिक्के के दो पहलू!
जहांॅ सच है, वहॉं झूठ नहीं होता.
पर, जहांॅ झूठ साबित है
सच वहॉं भी तो होता है.
क्यों मेरा सच, तेरा सच नहीं होता है ?
क्यों तेरा झूठ भी कभी-कभी,
सच से बड़ा सच होता है ?
क्यों ‘नरो वा कुंजरो वा’ का शाश्वत भ्रम,
आज भी जिन्दा है ?
माना कि ‘सत्यमेव जयते’ सर्वकालीन सत्य है
पर झूठ भी तो सदा ज़िन्दा है.
माना कि झूठ के पांव नहीं होते,
और मैराथन दौड़, सत्य सदा जीतता है,
फिर भी हर मंज़िल पर,
झूठ, सच से भी पहले खड़ा, क्यों मिलता है ?
सच और झूठ एक सिक्के के दो पहलू हैं,
क्योंकि सिक्के के ठीक पीछे ही तो आखिर;
सिक्के का दूसरा पहलू छिपा होता है,

मैं बस्तर बोल रहा हूं

हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं,
प्रवीर का प्यारा, मां दंतेश्वरी का दुलारा,
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.
अपने जलते ज़ख्मों की कुछ परतें खोल रहा हूं,
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.,
हमने हमेशा ही दिया है,
सबने हमसे सिर्फ लिया है.
आस्तीन के सांपों के दंश बराबर झेल रहा हूं,
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.
लोहा, लकड़ी, महुआ, मेवा,
लांदा, सल्फी, घोटुल, सेवा,
सब कुछ बिन मांगे देता हूं
नहीं किसी से कुछ लेता हूं
अपनी धुन में खुश रहता हूं
जल, जंगल, ज़मीन के बदले,
‘मुफ़्त’ का चावल तौल रहा हूं.
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.
नेता, अफसर, सेठ, साहूकार,
पुलिस सिपाही और जमींदार
एक थैली के चट्टे-बट्टे,
इनकी पोल अब खोल रहा हूं.
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.
खेती बंजर, गांव उजाड़,
घोटुल सूने, बंद ककसाड़,
तपते टीन की छतों के नीचे,
सलवा जुडुम में डोल रहा हूं,
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.
बारूदों से भरी हैं सड़कें,
हरियाली लाली में बदली
खारे हो चले सारे झरने
फिर भी इक मिसरी की डली,
इसमें हर पल घोल रहा हूं,
हां! मैं बस्तर बोल रहा हूं.


डॉ.राजाराम त्रिपाठी
151 हर्बल स्टेट
डी.एन.के.,कोण्डागांव,छ.ग.
मो.-09425258105