अंक-8-पाठकों से रूबरू-साहित्यिक खेमेबाजी

साहित्यिक खेमेबाजी नेट न्यूट्रीलिटी के नारे के बीच यह सच्चाई प्रकाश में नहीं आ पा रही…

काव्य -केशरीलाल वर्मा

कफन ये कवि, तुम लिखते हो हरदम, दुनिया की हर कड़ियों पर कविता। कफन सा चादर…

एक मुलाकात: पद्मश्री धर्मपाल सेनी

‘एक मुलाकात’ व ‘परिचय’ श्रृंखला में इस पिछड़े क्षेत्र से जुड़े हुए और क्षेत्र के लिए…

काव्य-सतीश लखोटिया

ईश्वर तेरे यह भी रूप अंधेरा, प्रकाश, अभिमान वाणी। का चल रहा था विचार-विनिमय गोष्ठी का…

विशेष रपट

‘साहित्य एवं कला समाज’ एवं ‘बस्तर पाति’ के तत्वाधान में प्रतियोगिता आयोजित अपने अटल प्रयोजन ‘साहित्य…

आलेख-नरेन्द्र परिहार

मुझे चाहिए एक मुट्ठी आसमान, दो गज जमीन, दो रोटी: उठो किसान क्या आप हम या…

काव्य-आनंद तिवारी पौराणिक

बसंत में आस लौट आई हैं सगुन-चिरैयां घर के कंगूरों पर गुलमोहर की डालियां छतरा गई…

खाली हथेली – डॉ सुदर्शन

खाली हथेली तुम कुछ मांगती नहीं थी – न तुम्हें चाहिये था, फिर भी तुम चाहती…

अंक-8-फेसबुक वाल से ब्रजेश कुमार पांडे

भूख मैं अच्छी तरह जानता हूँ, हजूर भूख नहीं महसूस कर सकते आप आप नहीं जान…

काव्य-राजेश जैन राही

राही के दोहे 1-शोर करे मिटती नहीं, ओछेपन की धूल। सच्चे कर्मों से खिले, कीचड़ में…