विशेष रपट

‘साहित्य एवं कला समाज’ एवं ‘बस्तर पाति’ के तत्वाधान में प्रतियोगिता आयोजित
अपने अटल प्रयोजन ‘साहित्य को जन-जन तक पहंुचाना’ को सार्थक करने के लिए शा.उ.मा.वि. रेल्वे कालोनी स्कूल जगदलपुर में विभिन्न विषयों पर कविता, लेख व कहानी प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया। लगभग 500 बच्चों की क्षमता के स्कूल से 20 से 25 बच्चों ने भाग लिया और अपनी रचनाओं के माध्यम से सिद्ध कर दिया कि वे साहित्य को अपने कंधे पर लेकर चलने को तैयार हैं यदि कोई उन्हें मौका दें तो। बच्चों ने श्री जे.पी.दानी (वरिष्ठ कवि एवं संपादक सृजन संदेश), श्री सनत जैन (कहानीकार एवं संपादक बस्तर पाति) एवं श्री भरत गंगादित्य (हल्बी, छत्तीसगढ़ी कवि एवं मंच कलाकार) के मुख्य आतिथ्य में आयोजित सम्मान समारोह में अपनी रचनाओं का पाठ भी किया। श्रीमती पूर्णिमा सरोज (कवयित्री एवं शाला की अध्यापिका) ने मंच संचालन एवं कार्यक्रम आयोजन किया।
कविता के प्रथम विजेता कक्षा 10 के युग्रेस नेताम ने ‘सड़क सुरक्षा’ पर अपनी कविता लिखी। सड़क सुरक्षा अभियान का व्यापक हो संज्ञान/बाकी सबकुछ बाद में सर्वप्रथम प्राण।/नशे की हालत में कभी धारण न करें ड्रायविंग सीट/वरना इसके परिणाम भी हो सकते हैं विपरित।/सुन लो ये अनमोल वचन सदा सड़क पर रहे ध्यान। तेरा है एक परिवार, जिसकी बसी है तुझमें जान।
दूसरा स्थान प्राप्त कक्षा 10वीं के साहिल ने सड़क दुर्घटना’ पर लिखा-
लापरवाही की तो होगी दुर्घटना, दुर्घटना से देर भली
कक्षा 9वीं की सुशीला ने ‘रक्तदान’ विषय पर कविता लिखी। इन्हें तीसरा स्थान प्राप्त हुआ।
तिनका-तिनका जोडकर उसने अभियान बनाया होगा
दाने-दाने के लिए तरबतर पसीना बहाया होगा।
धीमी गति से वाहन चलाएं, सुरक्षा कवच पहन कर चलाएं
हरी लाल बत्ती का पालन करें, दुर्घटना से अपने को बचाएं
निबंध प्रतियोगिता में बालेश्वर कक्षा 12वीं ने प्रथम स्थान पाया। उन्होंने महत्वपूर्ण बात यह बताई कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली महंगी है और इसमें श्रम का स्थान नहीं होता है। आज का युवक शिक्षा के बाद सीधे नौकरी चाहता है, जो मैकाले की देन है। नवयुवक बेरोजगार न हों वह स्वावलंबी बने। शिक्षा के प्रति कलाम के शब्द हैं-अगर आप फेल हो गये हों तो कभी निराश मत होना, क्योंकि फेल का मतलब होता है फर्स्ट अटैम्प इन लर्निगं। और इंड कभी अंत नहीं होता बल्कि इंड का मतलब होता है-इफोर्ट नेवर डाईस।
दूसरा स्थान पाया कक्षा 12वीं की कु. मनीता ओगर ने। विषय था ‘सड़क दुर्घटना का जिम्मेदार कौन’। उन्होंने इसके कारण ढूंढे-यातायात नियमों की अवहेलना, यातायात से संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही, जनसंख्या के अनुपात में अनुपयुक्त सड़कें, शहरीकरण के अनुरूप सड़कों के विकास का अभाव, वाहनों की अनवरत वृद्धि, वाहनों पर क्षमता से अधिक भार, मोटर गाड़ियों के समुचित रखरखाव न होने के कारण, अनुभवहीनता एवं लापरवाही, वाहन चालकों में प्रतिस्पर्धा।
तीसरा स्थान पाने वाली झरना साहू जो कक्षा 12 वीं में अध्ययनरत हैं शिक्षा का महत्व पर अपना लेख लिखा। प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तावना में लिखा कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत मनुष्य का संतुलित रूप से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है। शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य निर्धारित होता है। आज के युग में बिना शिक्षा के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है।
इस आयोजन में श्रीमती पूर्णिमा सरोज का पूरा योगदान रहा। उन्होंने ही अपनी शाला के प्राचार्य से अनुमति हासिल कर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करीं। वे साहित्य एवं कला समाज की कोषाध्यक्ष भी हैं। शाला के प्राचार्य व अन्य शिक्षकों का पूर्ण सहयोग व उत्साह प्रशंसा के काबिल था।
साहित्य एवं कला समाज द्वारा विद्यार्थियों से नवीन और जीवनोपयोगी विषयों पर लिखवाया गया। ये ऐसे विषय थे जिन पर विचार कर किया गया लेखन स्वयं के लिए जीवन भर काम आयेगा। विषय थे मोबाइल, सड़क दुर्घटना, रक्तदान और शिक्षा नौकरी के लिए जरूरी है या अच्छे जीवन के लिए। इन विषयों पर जम कर विद्यार्थियों ने लिखा।