काव्य-राजेश जैन राही

राही के दोहे


1-शोर करे मिटती नहीं, ओछेपन की धूल।
सच्चे कर्मों से खिले, कीचड़ में भी फूल।।
2-गंगा सबको दे रही, जीवन का संदेश।
पावन धारा स्वच्छ हो, कहता सारा देश।।
3-मीठी वाणी बोलिए, बेशक अलग विचार।
फिसले जैसे ही जुबां, हंसी उड़े संसार।।
4-खुश्बू अच्छे काम की, फैले थोड़ी देर।
नीयत से बरकत मिले, बेशक देर सबेर।।
5-बचपन पे हमला हुआ, मौन हुए अधिकार।
महावीर के देश में, बेबस मां का प्यार।।
6-गढ्ढ़ा खोदे और को, फिसले खुद गिर जाय।
आग लगाना सोचकर, हाथ नहीं जल जाय।।
7-सत्य सदा अविचल रहे, नहीं मचाए शोर।
आपे से बाहर वही, जिसके भीतर चोर।।
8-भ्रष्टाचार लुभा रहा, बदले अब आचार।
परिभाषित है झूठ अब, मर्जी के अनुसार।।
9-उत्तर भागा छोड़कर, प्रश्न हुए सब मौन।
सत्ता दुल्हनिया हुई, भ्रष्टाचारी गौण।।

राजेश जैन ‘राही’
रायपुर
मो.-9425286241