व्यंगिकाएं आधे-अधूरे नेता जी ने खूब कालाधन कमाया! और धीरे से उसे स्विस बैंक में पहुंचाया!!…
Category: पद्य
काव्य-राम नारायण मीणा ‘मित्र’
मातृत्व का अधिकार यूं तो आज भी हम भारतीय संस्कृति का बिम्ब मातृत्व के आइने में…
रश्मि पाठक की कवितायेँ
मालूम होगा शायद तुम जो यहां बैठे अख़बारों में ख़बरें ढूंढ़ा करते हो ख़बरें जो लिखीं…
यशवंत गौतम की कविता
खामोशी साल-सरई जंगल-खेत घोटुल-मांदर-रेला गीत सब खामोश जिन्दगी खामोश ऐसे में सूरज कांपता दे जाता है…
सुनील श्रीवास्तव की कविता
मेरा शहर सुबह देखता हूं शाम देखता हूं पुराने शहर का नया मंजर देखता हूं। मिला…
श्रीमती शैल चन्द्रा की कवितायेँ
शहरों से होड़ लेता गांव गांव अब नहीं रह गया गांव शहरों से होड़ लेता फिर…
डॉ.श्रीहरि वाणी की कवितायेँ
इन्द्र धनुष के साए में…… इन्द्र धनुष के साए में, लिखते गये अनुबंध नये मादक गंधी…
प्रीति प्रवीण खरे की कवितायेँ
द्रोपदी हाथ पकड़ कर दुश्शासन मौन सभा में लाया पांडव कुछ भी न बोले माँं का…