झेंपता हुआ हर रात के बाद जागता है सूरज ठंड के धुंधलके में अंगार सा जलता-बुझता,…
Category: काव्य
काव्य-श्रीमती शैल दुबे
शक्ति स्वरूपा बेटियां शक्ति स्वरूपा वजूद तुम्हारा नई सदी ने अब स्वीकारा। दो ही फूल से…
बढ़ते कदम-हेमंत बघेल
महाप्रभु किरपा करा (हल्बी) भूखे पेट रहुन पेज पसिया खाउन बेटा के पढ़ाले। महाप्रभु (सरकार)…
काव्य-राम नारायण मीणा ‘मित्र’
मातृत्व का अधिकार यूं तो आज भी हम भारतीय संस्कृति का बिम्ब मातृत्व के आइने में…
रश्मि पाठक की कवितायेँ
मालूम होगा शायद तुम जो यहां बैठे अख़बारों में ख़बरें ढूंढ़ा करते हो ख़बरें जो लिखीं…
यशवंत गौतम की कविता
खामोशी साल-सरई जंगल-खेत घोटुल-मांदर-रेला गीत सब खामोश जिन्दगी खामोश ऐसे में सूरज कांपता दे जाता है…
यादव विकास की ग़ज़लें
ग़ज़ल चलने वाले जरा देख कर, हादसों से भरा है सफ़र। रखिए हालात मद्देनज़र, कौन देता…
सुनील श्रीवास्तव की कविता
मेरा शहर सुबह देखता हूं शाम देखता हूं पुराने शहर का नया मंजर देखता हूं। मिला…
जे.कुमार संघवी की कविता
अब तक कुछ भी नहीं मिला है सड़सठ सालों में भारत को आजाद करने लाखों ने…
श्रीमती शैल चन्द्रा की कवितायेँ
शहरों से होड़ लेता गांव गांव अब नहीं रह गया गांव शहरों से होड़ लेता फिर…