काव्य-अनसुइया वर्मा

क्या लिखूं क्या लिखूं क्यों है मेरा देश बेहाल किसलिये हुआ इसका ये हाल अपने ही…

काव्य-हेमंत बघेल

कोशिश अपने नन्हें पैरों से चलने की कोशिश करती है पर गिर जाती है लड़खड़ाकर. फिर…

हाइकू-डॉ. सुरेश तिवारी

उचित युक्ति संभव कर देती सारे काम को. बात कहते प्रकृति व विवेक सदा एक ही.…

काव्य-श्रीमती मंजू लुंकड़

नारी कल्पना नहीं की जा सकती नारी बिना संसार की परिवार के आधार की देश के…

काव्य-बद्रीश सुखदेवे

प्यारा न्यारा बस्तर हमारा छत्तीसगढ़ में देवी-देवताओं का गढ़ बस और तर, तर और बस. एक…

काव्य-कमलेश्वर साहू

क्या समय रहते जाग जायेंगे बच्चे ? सदी का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है यह कि बारूद…

काव्य-अरविन्द बहार

मैं बस्तर बोल रहा हूॅ अपने मन के तराजू के पलड़े तोल रहा हूँ. मैं बस्तर…

काव्य-तमंचा रायपुरी

बस्तर जंगल की पगडंडियां मुझे पसंद नहीं ऐसी पगडंडियां जो घने जंगलों से गुजरती हैं लिपटकर…

काव्य-शशांक श्रीधर

दहेज का लोभ एक दिन मैंने सोचा क्यों न बहू को मार डालूं उसका गला घोंट…

नयी कलम-रेखराम साहू

चला जाऊंगा मैं कभी चला जाऊंगा मैं कभी शहर तेरा ये छोड़कर नहीं आऊंगा फिर यहां…