उचित युक्ति
संभव कर देती
सारे काम को.
बात कहते
प्रकृति व विवेक
सदा एक ही.
नगद धन
चिराग ही होता है
अलादीन का.
योग्य रहेगा
चरित्रवान व्यक्ति
हर समय.
ऐसी वो बातें
जो समझ न आए
सराही जायें.
कर्ज लेने से
धन और अधिक
होता है खर्च.
कोई भी क्रांति
समस्या की जननी
हुआ करती.
प्रत्येक युद्व
मृत शहीदों हेतु
है श्रद्धांजलि.
जब क्रोध ही
नम्रता बन जाये
नष्ट दर्प भी.
अत्याचारी तो
बिना मित्र के होता
सदा अभागा.
विजय हेतु
इच्छाशक्ति व धैर्य
हैं मूलमंत्र.
मौकापरस्त
दे ही नहीं सकते
सच्चा नेतृत्व.
सत्य है वही
जिसमें प्राणी हित
शेष अधर्म.
बिना उद्देश्य
जीने वाला आदमी
गुनाहगार.
दर्द से मिले
सुकून इतना भी
मालूम न था.
विवेक से ही
परास्त होता बल
या हो युक्ति से.
मृत्यु का द्वार
सदा खुला रहता
हमें हो ध्यान.
कष्ट होने से
जो हों साधु पुरुष
न हों मलिन.
सहज ज्ञान
कभी सहजता से
न मिल पाए.
उस दान में
कोई पुण्य नहीं है
जो हो ज्ञापित.
’काश’ को कभी
अपने जीवन में
न दें जगह.
दीनों की आह
धूल में मिला देती
साम्राज्य को भी.
डॉ. सुरेश तिवारी
मेन रोड़, तोकापाल जिला बस्तर
मो.-9425596784
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में सतत् प्रकाशन
आकाशवाणी से नियमित प्रसारण
कविता संग्रह, कहानी संग्रह प्रकाशित