काव्य-मोहिनी ठाकुर

(1) दिन को बना लिया बिछौना, रात ओढ़ ली अब चांद निकलने की, हमने आस छोड़…

काव्य-कृष्णचन्द्र महादेविया

धर्म सोपुर के पुल पर कुछ कहा था पीछे से उसने शायद कश्मीरी में मुड़ा था…

काव्य-पुरषोत्तम चंद्राकर

हाइकू जल तरंग इंद्रधनुष रंग मन पतंग। मखमल में टाट पर पैबंद बेजान रिश्ते। गुरू की…

काव्य-नवल जायसवाल

जाने के कारण मित्र! यदि आप मित्र हैं तो कहना चाहूंगा मैं तेरी ओलती में खड़ा…

काव्य-अशोक आनन

हमने घर-घर बस्तर देखे कैसे-कैसे मंजर देखे दुश्मन घर के अंदर देखे। बस्ती का क्या हाल…

काव्य-रीमा दीवान चड्ढा

उम्मीद वो सूखे पत्ते वो सूखे फूल न देखो ये नयी कोंपल की फूटती मुस्कान देखो।…

काव्य-डॉ. जगदीशचंद्र वर्मा

हिमालय विश्व पटल पर इसका नजारा, बहुत ही प्यारा है। हिमालय हमारा गौरव है, और हम…

काव्य-श्रीमती नंदिनी प्रभाती

साहस चींटी-सा चुपचाप यत्न मन के गहरे कोने में सहमा-सा एक बीज पड़ा है सृष्टि के…

काव्य-नलिन श्रीवास्तव

जंगली चट्टान की मौत मेहनत कश सॉंसों की उपलब्धि का दर्पण चटीयल-जीवन और उस पर काई…

काव्य-एस.एस.त्रिपाठी

काम, योग और भोग काम एक प्रचंड ऊर्जा ऊर्जा जीवन का पर्याय जीवन यानि गति गति…