डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी की वॉल से गीत -1 सूख चुके अधरों से, मधुर गीत क्या…
Category: फेसबुक वॉल से
विभिन्न साहित्यकारों की फेसबुक वाल पर आयी रचनाओं को लेकर यह स्तम्भ तैयार किया जाता है
अंक-17-फेसबुक वॉल से-सुनील दाश
ले के मुहब्बत का नाम, लोग कोसते हैं “सुनील“ को, मशवरा भी दिया था तजुर्बेकार नामुकम्मल…
फेसबुक वाल से-शैलेन्द्र सिंह
23 जुलाई 2016 हर पत्ते, दरख़्त, जर्रे-जर्रे में तुझे पाता हूँ, अहसास की ये कैसी खुशफहमी…
अंक-8-फेसबुक वाल से ब्रजेश कुमार पांडे
भूख मैं अच्छी तरह जानता हूँ, हजूर भूख नहीं महसूस कर सकते आप आप नहीं जान…
अंक-5+6+7-फेसबुक वाल से
चमत्कार चमत्कार वह नहीं था कि कोई कहता था सिद्धपुरुष कि कोई फल का नाम लो…
अंक-4-फेसबुक वाल से-संतोष श्रीवास्तव की फेसबुक वाल से
नज़्म ये बारिश की बूंदें मुसलसल बरसती निगाहों में कितनी असीसें उमड़ती हरएक घर के आंगन…
अंक-4-फेसबुक वाल से-प्रमोद जांगिड़ की वाल से
माटी के लोग काठ, पत्थर औैर गारे से बने मकान भूकंप सह न सके ढह गये…
अंक-4-फेसबुक वाल से-संजीव लवनिया ‘सजीव’
कविता कुछ ऐसे हादसे भी होते हैं कुछ ऐसे हादसे भी होते हैं ऐ मेरे दोस्त…
अंक-3-फेसबुक वाल से
याद किया तो ………………… एक साधारण मां-बाप याद किया तो सबसे पहले आये याद फिर घास-फूस…
अंक-2-हिमांशु शेखर झा की कविता फेसबुक वाल से
औक़ात इन बेहद गर्म दिनों बड़ी औकात है सूरज की पर मज़दूर लछमन के सामने क्या…