अंक-17-फेसबुक वॉल से-सुनील दाश

ले के मुहब्बत का नाम,
लोग कोसते हैं “सुनील“ को,
मशवरा भी दिया था तजुर्बेकार नामुकम्मल आशिकों ने,
वो बेवफा हकीकत में मिटा देगी “अकेला“ को,,,,,,,,

“सुनील“ ने तो मुहब्बत की,
सिर्फ एक बूँद रोशनी की किरण ही माँगी थी,
तुमने तो ऐ सनम “अकेला“ के इश्क़ में,
तबाही की आग ही लगा डाली,,,,,,,,

यकीनन नामुकम्मल आशिक की मौत को,
ये दुनिया भुला ही देती है ऐ “सुनील“,
सनम ने तो रिवाज ही बदल डाला,
“अकेला“ को जीते जी भूला कर,,,,,,,

दोस्तों, “सुनील“ के इश्क़ का जख्म बातों से नहीं भर सकता,
मुहब्बत का फूल पत्थर पे खिल नहीं सकता,
जो अपनी फ़ितरत में कमजर्फ बेवफ़ाई है रखती,
वो “अकेला“ को चाहत से हरगिज़ नहीं मिल सकती,,

सजी थी तेरे मासूम चेहरे के पीछे,
ऐ सनम तेरी खुदगर्ज बेवफ़ाई भी,
“सुनील“ तो आशिक पागल ही था,
खुद तो डूबा ही “अकेला“ को भी तबाह किया,,,,,

तू वो शख्स बनी ही नहीं थी ऐ सनम,
जो “सुनील“ के इश्क़ के काबिल होती,
वो तो “अकेला“ को गुनाह ए मुहब्बत की सजा मिलनी थी,
जो तुझ जैसे को चाहत का खुदा मान लिया,,,,,

कर गई वो इस कदर सरेआम बेवफ़ाई,
कि नाजुक मुहब्बत भी बदनाम हो गई,
“सुनील“ से कुछ नहीं माँगा कीमत अपनी खुदगर्जी की,
बस “अकेला“ को जीते जी इश्क़ के नाम नीलाम कर गई,,,,,,,

श्री सुनील दास की फेसबुक वॉल से