बरगद को देखकर याद आते हैं, दादा जी अक़्सर। बूढ़े बरगद को देखकर। जिसकी लटकती आकाशीय…
Category: पद्य
क्षणिकाएं-त्रिलोक महावर
क्षणिकाएं 1 सुख के दिन उड़े फुर्र से सुख के दिन ज्यों उड़ी गौरैय्या टहनी पर…
बढ़ते कदम-काव्य-किशोर मनवानी
ये बीस मेरे देश को दे गया कैसी टीस ये बीस मेरे देश को दे गया…
कविताएं-त्रिलोक महावर
कविताएं-त्रिलोक महावर पेंजई पीठ फेरते ही वे दाग देंगे दस -बीस गोलियाँ और एक खंजर उतार…
बढ़ते कदम- डाॅ अमितेष तिवारी
किसान का गीत…. बीज फसल में परिणित कर दूं हाथों में जब-जब मैं हल लूँ ऊसर…
काव्य-रजनी साहू
डायरी क्या है और उसकी भूमिका डायरी क्या है ऐसा कहा जाता है कि डायरी जिसमें…
ग़ज़ल-बरखा भाटिया
ग़ज़ल दर्दों की दास्तान है ग़रीब का चेहरा रोती हुई मुस्कान है ग़रीब का चेहरा। मोहरा…
मुकेश मनमौजी की कविताएं
रात अंधेरी सन्नाटा पसरा हुआ आकाश में चाँद बादल की ओट में अनायस चटकती सी आवाज…
काव्य-त्रिलोक महावर
पहचान बिना सोचे समझे कहीं भी सिर झुक जाए बगैर सहमति गिनती के काम आए यह…
प्रीति प्रवीण खरे की कविताएं
द्रोपदी हाथ पकड़ कर दुशासन मौन सभा में लाया पांडव कुछ भी न बोले माँं का…