परम्परायें और कुंठा समय के इस कालखण्ड में एक विशेष ट्रेण्ड सभी को नजर आ रहा…
Category: नक्कारखाने की तूती
यह शीर्षक हमारे उन विचारों के लिए है जो लगातार हमारा दम घोंटते हैं परन्तु हम उन्हें आपस में ही कह सुन कर चुपचाप बैठ जाते हैं. चुप बैठने का कारण होता हैं हमारी ‘अकेला’ होने की सोच! इस सोच को तड़का लगता है इस बात से कि ‘सिस्टम ही ऐसा है क्या किया जा सकता है. और ऐसा सोचना पागलपन हैे.’ हर पान की दुकान, चाय की दुकान और ट्रेन के सफर में लगातार होने वाली ये हर किसी की समस्या होती है, ये चिन्ता हर किसी की होती है. और सबसे बड़ी बात कि समस्या का हल भी वहीं होता है. ऐसी समस्या और उसका हल जो दिमाग को मथ कर रख देता हैं उनका यहां स्वागत हैं. तो फिर देर किस बात की कलम उठाईये और लिख भेजिए हमें.
सामाजिक समरसता के दीमक
नक्कारखाने की तूती यह शीर्षक हमारे उन विचारों के लिए है जो लगातार हमारा दम घोंटते…
नक्कारखाने की तूती -अंक-25 -आधार का डर क्यों ?
आधार का डर क्यों ? डर किसको लगता है कभी आपने विचार किया है ? जिसके…
जनता सब समझती है बेवकूफ न समझना
जनता सब समझती है बेवकूफ न समझना सुबह सुबह आने वाली काम वाली बाई आज काफी…
अंक-9+10-नक्कारखाने की तूती
जेटयुगी आस्था जैसे-जैसे वैज्ञानिक युग छाता जा रहा है एक ऐसा परिवर्तन समाज में आ रहा…
अंक-8-नक्कारखाने की तूती-विकास से दूर या संस्कृति रक्षण
विकास से दूर या संस्कृति रक्षण बस्तर की विकास की बातें करने वालों के साथ एक…
अंक-5-नक्कारखाने की तूती-छुआछुत के वाहक
छुआछुत के वाहक बड़े आश्चर्य की बात हैं दुनिया का हर आदमी शौच करता है…
अंक-4-नक्कारखाने की तूती-शिक्षा के विषयों की समीक्षा फिर से की जाय।
शिक्षा के विषयों की समीक्षा फिर से की जाय। – आज जो शिक्षा दी जा रही…
अंक-3-नक्कारखाने की तूती-बैंकों की लूट
बैंकों की लूट न जाने कबसे देश का गरीब किसान और मजबूर महाजनों के चंगुल में…
अंक-2-नक्कारखाने की तूती-भूमि का सही वितरण
भूमि का सही वितरण सरकार को चाहिये कि वह एक ऐसी सीमा बनाये कि एक व्यक्ति…