( ग़ज़ल ) आईनों से नहीं है दुशमनी मेरी , अक्श से अपनी डरती ज़िन्दगी मेरी।…
Tag: ग़जल
काव्य-दिनेश विश्वकर्मा
बेटी का ब्याह गरीब पिता के लिए होता है जीवन भर का स्वप्न कई बार देखा…
डॉ.सूर्यप्रकाश अष्ठाना ‘सूरज’ की ग़ज़लें
ग़ज़ल साया हटकर राहगुज़र से। अंजाना था वक्ते सफर से।। कोई तुम्हारे ग़म ना समझे, लेके…
शिवराज प्रधान की गजलें
ग़ज़ल आप के मुस्कराने की हर अदाओं ने हमें मारा है पूछिये भी किसी से, कि…
नसीम आलम ‘नारवी’ की ग़ज़लें
ग़ज़ल-1 उनसे किसे उम्मीदे-वफा है। पत्थर में कब फूल खिला है।। सीने में फिर दर्द उठा…
नज़्म सुभाष की ग़ज़लें
ग़जल-1- यूं मुझे तनहाई देगा, अंतिम बार विदाई देगा। बहुत शोर है मेरे भीतर, कुछ भी…
ग़ज़ल-नसीम आलम नारवी
मैं तो बिलकुल खुली किताब रहा, उन को पढ़ने से इज्तिनाब रहा।। ज़िन्दगी भर उन्हें हिजाब…
ग़ज़ल-बरखा भाटिया
-1- हैरां हूं सियासी घोड़ों को बेलगाम देखकर नंगे हो गये सबके सब, हमाम देखकर। अकाल…
ग़ज़ल-विक्रम सोनी
1. समंदर में तूफां ये मौजें ये धारें। कहां चल दिये बेखुदी के ये मारे। उसूलों…