नज़्म सुभाष की ग़ज़लें

ग़जल-1-

यूं मुझे तनहाई देगा,
अंतिम बार विदाई देगा।
बहुत शोर है मेरे भीतर,
कुछ भी नहीं सुनाई देगा।
पहले लूटेगा जी भर के,
बाद में वो भरपाई देगा।
लहू पी रहे हो निर्बल का
अंदर से उबकाई देगा।
सत्ता के मद में जो अंधे
कैसे उन्हें दिखाई देगा।
होश नहीं, सच बोल रहा हूं
ताबड़तोड़ सफाई देगा।
बंटे भक्त औ’ बहस तेज है,
ईश्वर देगा….. साई देगा।

ग़ज़ल-2-

जो मेरे दीवाने होंगे
वो मुझसे अंजाने होंगे।
भीतर कत्ल की ख्वाहिश होगी
बाहर प्रेम तराने होंगे।
आये है जो शमां बुझाने
वो कैसे परवाने होंगे।
नाबदान में पड़ा है उल्टा
पास में ही मैखाने होंगे।
बच्चे तो क्या उड़ पायेंगे
अंडे यहां उड़ाने होंगे।
ख्वाबों में रोटी से बातें
ऐसे ख्वाब सजाने होंगे।
मिलते ही गरियाने लगते
मतलब दोस्त पुराने होंगे।
हम दोनो में बातें होंगी
दुनिया में अफसाने होंगे।

नज़्म सुभाष
एस.के.डी. प्लाजा, ई ब्लॉक, सब्जीमंडी,

राजाजीपुरम, लखनऊ

मो.-09235792904ग़ज़ल