अब और क्या लिखूं! लाला जगदलपुरी और बंशीलाल विश्वकर्मा जी की जुगलजोड़ी जो बस्तर के कला…
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लाला जगदलपुरी-संस्मरण : राजीव रंजन प्रसाद
लाला जगदलपुरी अभी दो माह पहले ही मैं लाला जगदलपुरी से उनके निवास पर मिला था।…
अंक-3-नक्कारखाने की तूती-बैंकों की लूट
बैंकों की लूट न जाने कबसे देश का गरीब किसान और मजबूर महाजनों के चंगुल में…
लघुकथा-पवन तनय हरि-दादी की ममता
लघुकथा दादी की ममता चिलचलाती धूप पड़ रही थी, दोपहर के दो बजे का समय था।…
अंक-3-पाठकों की चौपाल
‘बस्तर पाति’ का सितम्बर अंक प्राप्त हुआ, हार्दिक धन्यवाद। सुदूर आदिवासी क्षेत्र से साहित्यिक प्रकाशन करना,तलवार…
लालाजी की कविताएंः- मिमयाती जिन्दगी दहाड़ते परिवेश
लालाजी की कविताएंः- मिमयाती जिन्दगी दहाड़ते परिवेश (कविता क्रमांक-1) उन्मन हैं मनचीते लोग, वर्तमान के बीते…
अंक-3-पाठकों से रूबरू-लघु पत्रिकाओं का औचित्य
लघु पत्रिकाओं का औचित्य साहित्य की सामाजिक भूमिका का विवरण यत्र-तत्र-सर्वत्र मिल जाता है। बहुतों की…
अंक-3 (दिसंबर 14 से फरवरी 15)विवरणिका लाल जगदलपुरी पर केंद्रित
विवरण पाठकों से रूबरू/2लघु पत्रिकाओं का औचित्य पाठकों की चौपाल/5अंक-3-पाठकों की चौपाल बहस/कहानी की शर्तें/7अंक-3-बहस-कहानी की…
अंक-3-बहस-कहानी की शर्तें
कहानी की शर्तें टीवी, मोबाइल और इंटरनेट से घिरी युवा पीढ़ी किस तरह पुस्तकों, अर्थात् शब्दों…