मेरी ग़ज़ल समन्दर से जो मिल जाता वो फिर कतरा नही रहता खुदा के साये में…
Category: ग़ज़ल
अनिल जैन की दो ग़ज़लें
ग़ज़ल 1 तिश्नगी (प्यास) सांस जाये टूट पर ज़िंदा रहेगी तिश्नगी बेकरारी का बने कोई सबब…
डॉ.सूर्यप्रकाश अष्ठाना ‘सूरज’ की ग़ज़लें
ग़ज़ल साया हटकर राहगुज़र से। अंजाना था वक्ते सफर से।। कोई तुम्हारे ग़म ना समझे, लेके…
नसीम आलम ‘नारवी’ की ग़ज़लें
ग़ज़ल-1 उनसे किसे उम्मीदे-वफा है। पत्थर में कब फूल खिला है।। सीने में फिर दर्द उठा…
ग़ज़ल-नसीम आलम नारवी
मैं तो बिलकुल खुली किताब रहा, उन को पढ़ने से इज्तिनाब रहा।। ज़िन्दगी भर उन्हें हिजाब…