ग़ज़ल-बरखा भाटिया

-1- हैरां हूं सियासी घोड़ों को बेलगाम देखकर नंगे हो गये सबके सब, हमाम देखकर। अकाल…

ग़ज़ल-विक्रम सोनी

1. समंदर में तूफां ये मौजें ये धारें। कहां चल दिये बेखुदी के ये मारे। उसूलों…

ग़ज़ल-रउफ परवेज़-अंक-1

-1- अपने ही घर में अपने ही साये से डर लगा सेहरा में जा के बैठे…

ग़ज़ल-शमीम बहार

ग़ज़ल-1 वक्त अंधेरे में देखने वाला नहीं होता, शहर वतन में क्या-क्या नहीं होता. सुबहो-शाम ये…

ग़ज़ल-नूर जगदलपुरी

दफ़तर नामा…..1 अपनी मेहनत का हमें पेमेन्ट मिलना चाहिए और वो भी आज ही अर्जेन्ट मिलना…

ग़ज़ल-ऋषि शर्मा ऋषि

ग़ज़ल होता वही जो होना है, होनी को न टाला जाए है फिर भी न जाने…

ग़ज़ल-रउफ परवेज

ग़ज़ल-1 मिल के गुलशन को चलो अपने बसाया जाए प्यार के फूलों से फिर उसको सजाया…