रात अंधेरे को लपेटे अपने तन से रात चली उदास मन से मैंने कहा रात से,…
Category: पद्य
मेरी ग़ज़ल – डॉ बी प्रकाश मूर्ती ” पैमाना “
मेरी ग़ज़ल समन्दर से जो मिल जाता वो फिर कतरा नही रहता खुदा के साये में…
विज्ञान व्रत की ग़ज़लें
ग़ज़ल —– मुझको लेकर सोचेंगे पर गूँगे क्या बोलेंगे काग़ज़ …
के. श्रीधर की कवितायेँ
दरख़्त खामोशी ही है मेरा गहना कि मै दरख़्त हूँ काट ही दिया जाता हूँ अक्सर…
~ डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’ के दोहे ~
~ डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर’ के दोहे ~ —————————————– ‘केस’ बहुत मज़बूत था, पर भारी था…
गरिमा पोयाम की कविता
मन के सागर में डुबकी लगा कभी यूँ ही स्वयं से मिल, जैसे हो कोई गहरी…
अनिल जैन की दो ग़ज़लें
ग़ज़ल 1 तिश्नगी (प्यास) सांस जाये टूट पर ज़िंदा रहेगी तिश्नगी बेकरारी का बने कोई सबब…
पं.जमदग्निपुरी की चार कवितायेँ
बचपन का सपना ———————— बचपन में सोंचा करते थे, पता नहीं कब सयान होगें। पता नहीं…
विद्या गुप्ता की कवितायेँ
कविता-1 शुक्रिया….!! पावस तुम आए घर गगन तक पावन सोंधी माटीगंध भर लाये पतझड़ हुए मन…
रजनी साहू “सुधा” की तीन कवितायेँ
मैंनें बस्तर को बोलते सुना है । बस्तर कह रहा है कि, मैं भारत के मानचित्र…