वह लौट गई ‘‘लतिका, जरा फेस पैक तैयार करना!’’ कहती हुई सुवर्णा ने अपने कंधों पर…
Author: Bastar Paati
काव्य-खदीजा खान
चलना है तब तक चलना है तब तक पैरों की थकन टूटकर चूर न कर दे…
लघुकथाएं-कांता देवांगन
अतीत के पन्ने आज फिर लड़की वालों का जवाब ‘न’ आया. बचपन से ही दोस्तों के…
काव्य-सुनील लम्बाडी
सूर्य की किरण सूर्य की किरण जब है पड़ती आंखें हैं होती उज्जवल कूकडू कूं की…
काव्य-विमल तिवारी
प्यार के लिए प्यार के लिए जीता है कोई, प्यार के लिए तड़पता है कोई. अंबर…
काव्य-माधुरी राऊलकर
घर से लड़ना इधर से लड़ना या उधर से लड़ना आसान नहीं अपने घर से लड़ना.…
काव्य-डा.सुजय कुमार शरण
वेलेन्टाइन डे खुद को खुश करने के मुझे मालूम हैं ढेर सारे तरीके वेलेन्टाइन डे को…
प्रवेशांक-मधु सक्सेना, त्रिजुगी कौशिक, ब्रजेश पाण्डे एवं सुबोध श्रीवास्तव की कवितायेँ
ये यादें मेरा पीछा नहीं छोड़ती- कोई तो ऐसा तीर्थ हो जहां मैं इन्हें अर्पण करूं…
काव्य-कुमार प्रवीण सूर्यवंशी
अजीब सन्नाटा शेर, वनभैंसा और हिरण सज गये रईसों की बैठक में सन्नाटा ही सन्नाटा है…