लघुकथाएं-महेश राजा

नव वर्ष का स्वागत है बड़ी उदास सी घड़ी थी। 2021का आखरी दिन। बूढ़ा साल लाठी…

उंगलबाज

कौन गरीब “भाई सब लोग मिलकर 1100/- रुपये दे रहे हैं। तुम कब भिजवा रहे हो।“-देवेंद्र…

लघुकथा-डा. मीनाक्षी बाजपेयी ’मीनू’

जो दिखता है वो बिकता है शहर में बड़े-बड़े शिक्षा संस्थानों के द्वारा मिलकर युवाओं को…

लघुकथा-संतोष श्रीवास्तव

उत्सव आज रामलाल गुरूजी अपने विद्यालय से अवकाश के पश्चात घर लौटते वक्त बड़े उदास से…

लघुकथा-बकुला पारेख

बचपन सुड़क सुड़क कर गरमा गरम दाल पीते हुए दाल बाफलों का आनंद ले रहे थे..…

निशानेबाज

राजनीति ’भाइयों! इस बार तो लग रहा है वर्षों पुरानी मांग पूरी हो ही जायेगी।’ कंुदन…

लघुकथा-महेश राजा

स्मृति शेष आज क्रिसमस का पवित्र त्यौहार था। चारों तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ थी। राज सुबह…

अंकुर सिंह की लघुकथा – पंच से पक्षकार

    पंच से पक्षकार           हरिप्रसाद और रामप्रसाद दोनों सगे भाई थे।…

डॉ शैल चंद्रा की आठ लघुकथाएं

शॉपिंग “देख तो रमशीला, ये साड़ी कैसी है। अभी-अभी आन लाइन शॉपिंग से आई है।”मालकिन ने…

वक्रदृष्टि-लेखा-जोखा

वक्रदृष्टि दिनांक-22 अगस्त 2022 (एक वक्र दृष्टिपात समाज के चरित्र पर ) लेखक- सनत सागर, संपादक…