लघुकथा-डा. मीनाक्षी बाजपेयी ’मीनू’

जो दिखता है वो बिकता है

शहर में बड़े-बड़े शिक्षा संस्थानों के द्वारा मिलकर युवाओं को आकर्षित करने जिससे वे उनके संस्थान में प्रवेश लें, ऐसी सोच के साथ एक भव्यता के साथ कैरियर सम्मेलन आयोजित किया गया।
उन्हें लुभाने तरह -तरह के कार्यक्रम रखे गये।
सभी शिक्षण संस्थान वालों ने बड़े-बड़े होडिंग, पंपलेट, टी.वी. स्क्रीन में कैरियर की जानकारी दी जिससे युवा आकर्षित हों और उनके इंस्टीट्यूट में एडमिशन लें। फिल्मी गीत, नृत्य, रैनडान्स, व्यक्तित्त्व विकास का सेशन, साथ ही चटपटे व्यंजनों का लुफ्त उठा सकें इसलिए हर प्रदेश के तरह-तरह के खाना खजाने का स्टाल लगाया, अलग -अलग कैरियर के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही थी। भीड़ देख आयोजक बहुत खुश नजर आ रहे थे। और अंत में सभी युवाओं को एक प्रश्नावली तैयार करके दी गयी कि आप आगे क्या बनना चाहते हैं ? और क्यों ?
इसके क्या-क्या फायदे हैं?
और जो सबसे सही उतर देगा उसे मनचाहे इंस्टीट्यूट में फ्री में दाखिला मिलेगा।
अधिकांश उतर आया – राजनीति में प्रवेश करेंगे, नेता, बनेंगे।
क्यों का उतर आया – पढा़ई की कोई आवश्यकता नहीं व पांच साल में ही कार बंगला, बैंकबैलेंस, रुतबा सब हासिल हो जायेगा।
तीसरे प्रश्न के उत्तर में – सात पीढ़ी तर जाती है।
आई. एस. अधिकारी भी जेब में रहते हैं।
एक बार पदभार ग्रहण करने के बाद जीवन भर पेन्शन मिलती है।
अपराधिक प्रकरण होने पर भी छूट जायेगें।
युवाओं का रुझान देख, संस्थान वाले सिर पकड़ बैठ गये।

डा. मीनाक्षी बाजपेयी ’मीनू’
मो.-9300732625