बरगद को देखकर याद आते हैं, दादा जी अक़्सर। बूढ़े बरगद को देखकर। जिसकी लटकती आकाशीय…
Category: पद्य
कविताएं-त्रिलोक महावर
कविताएं-त्रिलोक महावर पेंजई पीठ फेरते ही वे दाग देंगे दस -बीस गोलियाँ और एक खंजर उतार…
बढ़ते कदम- डाॅ अमितेष तिवारी
किसान का गीत…. बीज फसल में परिणित कर दूं हाथों में जब-जब मैं हल लूँ ऊसर…
मुकेश मनमौजी की कविताएं
रात अंधेरी सन्नाटा पसरा हुआ आकाश में चाँद बादल की ओट में अनायस चटकती सी आवाज…
प्रीति प्रवीण खरे की कविताएं
द्रोपदी हाथ पकड़ कर दुशासन मौन सभा में लाया पांडव कुछ भी न बोले माँं का…