Tag: अंक-2
हाइकू-गोपीनाथ कालभोर
भक्ति बाहर भीतर कुछ और शक्ति का घर। भगवान भी खुश उस पर है जो राक्षस…
काव्य-प्रीति प्रवीण खरे
बिटिया आगमन से बिटिया ने मन को हर्षित कर डाला सूने से इस आँगन में रिश्तों…
अंक-2-हिमांशु शेखर झा की कविता फेसबुक वाल से
औक़ात इन बेहद गर्म दिनों बड़ी औकात है सूरज की पर मज़दूर लछमन के सामने क्या…
काव्य-शिवेंद्र यादव
कल के खेल कभी हम खेला करते थे खिलौनों से,धूल-मिट्टी,पत्तों,डालों से खुले मैंदानों में। बाबा बताते…
दोस्ती :- एक अनोखा रिश्ता-अंजली सिन्हा
दोस्ती :- एक अनोखा रिश्ता ‘दोस्ती‘-कहने को तो एक छोटा सा शब्द है, पर अगर इसके…
अंक-2-गिरीश पंकज की कविता फेसबुक वाल से
इतनी कुंठा और निराशा ठीक नहीं सबको गाली देती भाषा ठीक नहीं। आप बड़े ज्ञानी-ध्यानी हैं…
लघुकथा-रवि यादव
लुटेरे पुणे से लौटते हुए जब अचानक कार ने धोखा दे दिया तो साहिल एकदम से…
नारी लेखन : कहने की जरूरत ?-थानसिंग वर्मा
नारी लेखन : कहने की जरूरत ? हिन्दी साहित्य में महिला लेखन का सवाल ‘दलित साहित्य’…
लघुकथा-मोहम्मद जिलानी
मोबाइल शहर की प्रसिद्ध पाठशाला में मुख्य अध्यापक से लेकर चपरासी तक सक्रिय दिखाई दे रहे…