लघुकथा-रवि यादव

लुटेरे

पुणे से लौटते हुए जब अचानक कार ने धोखा दे दिया तो साहिल एकदम से घबरा गया। एक तो गर्मी ने हालत खराब कर रखी थी, ऊपर से रात के ग्यारह बजे इसी एरिया में कार खराब होनी थी। जहां सब से ज्यादा लूटपाट होती है। आसपास सारी दुकाने बंद हो चुकी थीं। साहिल ने एक बार फिर सेल्फ मारकर कोशिश की कि शायद कार कुछ दया करे उस पर, मगर कार आज रूठी प्रेमिका सी अड़ कर बैठ गयी थी। साहिल ने देखा एक कार गेराज को बंद करके कुछ लड़के निकलने को तैयार थे। साहिल के आग्रह पर वो तुरंत तैयार भी हो गये। पंद्रह मिनिट के अंदर कार के अंजर पंजर खोल डाले गये और बीमारी का पता लगाकर उसे तंदरूस्त कर दिया गया। कोई बड़ी खराबी नहीं थी बस पंखे की बेल्ट टूट गयी थी जिसकी वजह से गाड़ी हीट लेकर बंद पड़ गयी थी। तीन सौ पचास रूपये हुए। साहिल ने पांच सौ का नोट दिया जिसका खुला कराने के लिए एक लड़का गया तो बहुत देर तक न लौटा। साहिल को शक हुआ कि कहीं वो गलत लोगों में तो नहीं फंस गया। अंधेरा पूरे शबाब पर था। अगर ये लड़के उसे कोने में लेजाकर मार डालें या सब कुछ छीन लें तो कोई भी यहां उसकी मदद करने नहीं आयेगा। प्यास के मारे गला सूखा जा रहा था। उसे लगा पैसे खुला कराने के नाम पर ये लड़के जानबूझकर देरी कर रहे थ, अपना कोई प्लान बना रहे थे। तभी वो लड़का पांच सौ का खुलाकर ले आया। उसके हाथ में एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल भी थी।
‘‘साहब खुला मिल नहीं रहा था सो ये बोतल खरीद कर खुला कराना पड़ा। बोतल के पैसे आप हमारे तीन सौ पचास में से काट लेना।’’ साहिल ने जल्दी से डेढ़ सौ रूपये जेब में डाले तो लड़का बोला।
‘‘साहब बहुत गर्मी है, ये लीजिए थोड़ी कोल्ड ड्रिंक पी लीजिए, फिर जाना। और रास्ते में कहीं रूकना मत ये एरिया खतरनाक है।’’ अब साहिल समझ गया कि असली प्लानिंग क्या है, इतनी देर उसे लगी है ये नशीली कोल्ड ड्रिंक लाने में। हालांकि उसका गला सुख रहा था मगर मुस्कुराते हुए कहा। ‘‘नो थैंक्स’’ दूसरा लड़का बोला।
‘‘पी लीजिए न साहब हमें अच्छा लगेगा।’’
‘‘नहीं-नहीं दरअसल मेरा गला खराब है उसका इलाज चल रहा है इसलिए डॉक्टर ने कुछ भी ठण्डा पीने को मना कर रखा है।’’ लड़का थोड़ा उदास हुआ फिर बोला।
‘‘कोई बात नहीं साहब! आप जाइये भाभीजी इंतजार कर रही होंगी।‘‘अपनी पत्नी के लिए इस लड़के का यूं भाभीजी शब्द इस्तेमाल करना साहिल को बुरा लगा मगर वो मुस्कुराकर बोला।
‘‘थैंक्स फॉर हेल्प।’’ साहिल ने कार स्टार्ट की तो देखा वो लड़के सड़क पर मस्ती मारते हुए आगे बढ़ रहे थे और बोतल बंद की बंद उनके हाथ में थी उसका शक और पक्का हो गया तभी उसने देखा कि एक लड़के ने ढक्कन खोलकर बोतल से दो घूंट पिये फिर बारी-बारी सब ने पिए। ये तीन सौ पचास रूपये, जिनका हिसाब शायद उन्हें अपने मालिक को नहीं देना था आज रात उनकी पार्टी का कारण बन गए थे। उसे अपने आप पर शर्मिंदगी सी हो उठी कि उसने उन लोगों पर शक किया था जिन्होंने उसकी मदद की थी। उसका दिल किया कि उन्हें आवाज लगाकर उनकी जूठी बोतल से वह भी दो घूंट पी ले उसकी प्यास बुझ जायेगी और उन लड़कों को अच्छा लगेगा मगर तब तक वो लड़के हंसी मजाक करते दूर निकल चुके थे…..।

रवि यादव
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