उगता सूरज भोर होते ही उगता सूरज, अपनी किरण की ललिमा से भर देगा. अपनी छटा…
Author: Bastar Paati
काव्य-डॉ. शैलेश गुप्त ‘वीर’
बिटिया रानी ठुमक-ठुमक कर पाँव पटकती, पल-पल में है रंग बदलती. दादी को दिन-रात छकाती, बाबाजी…
अंक-1, (जून 2014) विवरणिका रउफ परवेज पर केंद्रित
पाठकों से रूबरू/2 अंक-1, पाठकों से रूबरू पाठकों की चौपाल/5 पाठकों की चौपाल-अंक-1 बहस-साहित्यिक थ्रीलर/7 बहस-साहित्यिक थ्रिलर काव्य/एस.एस.त्रिपाठी/11…
काव्य-महेंद्र कुमार जैन
अर्थ अर्थ में ही अर्थ है समर्थ का ही अर्थ अन्यथा जीवन उसका व्यर्थ है. स्वार्थ…
कहानी-डॉ योगेन्द्र सिंह राठौर
तुम्हें क्या कहना है ? सुबह ग्यारह बजे से बैठे-बैठे शाम के चार बज गये ,जब…
अंक-1-जून-2014, कवर पेज-नरसिंह महंती
बस्तर पाति का कवर पेज- श्री नरसिंह महान्ती श्री नरसिंह महान्ती बस्तर क्षेत्र के वो कलाकार…
कहानी-रउफ परवेज़-अंक-1-केन्द्रित अंक
हाजी बाबा जब वह स्कूल की पढ़ाई खत्म कर कॉलेज पहुंॅचा तो पढ़ाई के सिवा किसी…
अंक-1-रेखाचित्र-नरसिंह महंती
बस्तर पाति के रेखाचित्र- श्री नरसिंह महान्ती श्री नरसिंह महान्ती बस्तर क्षेत्र के वो कलाकार हैं…