पेशेवर प्रेमी
खुली रखे खिड़की
तके लड़की।
कमल कींच
खिला तलैया बीच
नशे में भौंरा।
भ्रमर काला
गुंजार कर मरे
कमलिनी में।
गौरेया मैया
लाने दाना निकली
फिक्र चूजों की।
गिलहरियां
दौड़ीं लिए धारियां
थके न कभी।
औरत मर्द
पूरक एक दूजे
रहें छत्तीस।
सुमन जैसा
निश्छल हृदय हो
पाओ दुलार।
रजनीगंधा
रानी बनी सुगंधा
सजे उद्यान।
क्यारी सारी हो
फूलों से हरी-भरी
निहाल माली।
युवा हृदय
करते इजहार हैं
पेशे-गुलाब।
विभा रश्मि
201, पराग अपार्टमेन्ट
प्रियदर्शनी नगर, बैदला
उदयपुर-313011
मो.-09414296536