बड़ा बनना सीखो बड़ा बनना है तो झुकना सीखो ग़मों से समझौता सीखो पराए को अपना…
Author: Bastar Paati
बढ़ते कदम-शुचिता झा
शबनमी अहसास ओस से भरकर छलकती आसमांॅ की प्यास दूर बिखरा हवा में शबनमी अहसास. पर्वतों…
काव्य-जयप्रकाश राय
प्रश्न या उत्तर ? ग्यारह अगस्त दो हजार आठ भिलाई पावर हाउस रेल्वे स्टेशन अपरचित जगह…
अंक-1-साहित्यिक उठापटक
बस्तर पाति का विमोचन 6 अप्रेल 2014 बस्तर क्षेत्र के लिए अविस्मरणीय दिन बना और यहांॅ…
ग़ज़ल-रउफ परवेज़-अंक-1
-1- अपने ही घर में अपने ही साये से डर लगा सेहरा में जा के बैठे…
कहानी वर्षा रावल
गंध सारे किचन में गैस सिलेण्डर की गंध फैल चुकी थी. दूध उफनकर शांत हो गया…
संस्मरण-बस्तर पाति फीचर्स-युवाओं के लिए लेखन का उदहारण
मेरे गांव और शहर का अंतर हम जहांॅ रहते हैं, जहॉं मैं पैदा हुई हूं वो…
ग़ज़ल-शमीम बहार
ग़ज़ल-1 वक्त अंधेरे में देखने वाला नहीं होता, शहर वतन में क्या-क्या नहीं होता. सुबहो-शाम ये…
बढ़ते कदम-पूजा देवांगन
बस्तर की आवाज खामोशी छाई है हरपल यहॉं चारो ओर अंधेरा है. नक्सलवाद का डंका है…
परिचर्चा-वंदना राठौर
‘बस्तर पाति’ के विमोचन के अवसर परिचर्चा ‘लोक संस्कृति के संरक्षण में आधुनिक साहित्य का योगदान…