अंक-9+10-साहित्यिक उठापटक

दिनकर जयंती व हिन्दी दिवस
साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर ने लगातार बस्तर जिले में अपनी साहित्यिक गतिविधियों से साहित्यिक हलचल मचा दी है। हिन्दी पखवाड़ा एवं दिनकर जयंती के अवसर पर 25 सितम्बर को आकृति के सभागार में काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा आयोजित की गयी। भानपुरी से पधारीं कवियत्री श्रीमती अलका पाण्डे के मुख्य आतिथ्य व क्षेत्र के जबरदस्त गजलकार नूर जगदलपुरी की अध्यक्षता में सर्वप्रथम राष्ट्रकवि श्री रामधारी दिनकर जी को माल्यार्पण कर श्रद्धांजली दी गई।
जयचन्द्र जैन वरिष्ठ विचारक ने अपने उद्गारों में हिन्दी की दुर्दशा के कारणों में लार्ड मैकाले को मुख्य दोषी बताया। वहीं किशोर मनवानी शिक्षक केन्द्रीय विद्याालय ने सपरिवार उपस्थिति देकर हिन्दी के प्रति चिन्ता जाहिर की। उन्होंने बताया कि शिक्षा की नई नीति की आवश्यकता है जिसके निर्माण में शिक्षकों की भागीदारी भी हो। बी.एल.सारस्वत ने अपनी ओजमयी वाणी से हिन्दी और देश की विकट स्थितियों पर वीर रस की कविता का पाठ किया।-मातृभूमि के हमलावर यहां महिमामंडित होते हैं/वीर जवानों की लाशों पर जहां दो आंसू रो लेते हैं।
अलका पाण्डे ने अपनी कविता में कहा- इस पंथ का उद्देश्य नहीं शांत भवन में टिके रहना/ किन्तु चले जाना उस हद तक/ जिसके आगे राह नहीं।
बस्तर क्षेत्र के दोहाकिंग अवधकिशोर शर्मा ने अपने दोहों से महफिल को बता दिया कि दोहे उर्दू शायरी से कमतर नहीं हैं- फूलों सी मुस्कान है कलियों जैसा रूप/बेटी खुशबु चांदनी, बेटी शबनम धूप।
श्रीमती रीना जैन ने अपनी मधुर आवाज में श्रृंगार की कविता सुनाई-पिया मिलन को प्र्रिया अधीर है/इत उत भटके चैन कहां पाई। जे.पी.दानी संपादक सृजन संदेश ने अपनी नई कविता सुनाई-तुमसे दूर रहकर ही/अनेकों शेरों-शायरियां, ठुमरी ठप्पे रूबाईयां/गीत गजल और कवालियां/तुमसे दूर रह कर ही जानी हैं। सुरेश चितेरा, छत्तीसगढ़ी और हिन्दी के कवि ने गीत सुनाया-गांव ह भैया गांव नई ये/ भुंइयां म कखरो पांव नई ये। नवोदित कवियत्री चंद्रकांति ने अपनी नई कविता सुनाई-संकुचित कुमुद में तरूणाई/आई मुस्काती हुई। नवोदित कवियत्री चमेली कुर्रे लगातार अपने गीतों और कविताओं में पकड़ बनाती हुई अपनी उपस्थिति बना रही हैं। उनका गीत था-रणभूमि में जो शहीद हुए हैं/ऐसे वीर जवान बनो/ जो बचा ले देश की लाज को/ ऐसे सर्वशक्तिमान बनो। बड़ी दूर से आयोजन में शामिल होने आईं पूनम विश्वकर्मा ने नक्सलवाद पर चिन्ता जाहिर की- तिमेड़ के आखिरी छोर पर/इंद्र्रावती के बहते पानी में/मैं घुटनों तक डूबकर/महसूस कर लेती हूं/बस्तर का सारा सच। नवोदित कवि सूरज नारायण लगातार जता रहे हैं कि वे अब नवोदित नहीं रह गये हैं- मेरा मन मानने को तैयार ही नहीं/कि तुम हो इस देश के प्रधान। नरेन्द्र पाढ़ी वरिष्ठ कवि हिन्दी/हल्बी एवं रंगमंच कलाकार ने चिन्ता व्यक्त कि-अब बस्तर जल रहा है/चारों तरफ आग की लपटें हैं/कहां है मेरा बस्तर। ऋषि शर्मा ऋषि ने अपनी गजलों से मन मोह लिया-सागर और किनारे चुप हैं/जलते हुए अंगारे चुप हैं। भरत गंगादित्य हल्बी हिन्दी में कविताएं रचने वाले रंगमंच कलाकार ने अभियान गीत गाया-रात अंधेरी दूर करेंगे, दीपक जला चल रहे हम/एक दीप से दूजा जलता, ले हौसले पल रहे हम। नवोदित कवियत्री पूर्णिमा सरोज ने देश भक्ति गीत सुनाया-प्यारे भारतवर्ष पर/सर्वस्व निछावर रहे/जीवन रहे न रहे/ देश मेरा स्वतंत्र रहे। शशांक शेण्डे वरिष्ठ हास्य व व्यंग्य कवि ने रामधारी दिनकर जी चार पंक्तियां पढ़कर उन्हें श्रद्धांजली दी।
मंच संचालन कर रहे साहित्य एवं कला समाज के अध्यक्ष सनत जैन इन पंक्तियों के साथ साढ़े तीन घंटे चली गोष्ठी के समापन की घोषणा की और आभार व्यक्त किया-हिन्दी केवल भाषा नहीं बल्कि जीवन संस्कार है/हमारा प्रकृति से जुड़ जाने का बड़ा आधार है/ हिन्दी है तो पीपल है, बरगद है, आंवला है/ तुलसी है आंगन में और आम का तोरणद्वार है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ चित्रकार व आकृति के संचालक बी.एल.विश्वकर्मा, वरिष्ठ कवियत्री मोहिनी ठाकुर, वरिष्ठ कहानीकार उर्मिला आचार्य, कवि विमल तिवारी, डॉ. राजेश थनथराटे, व्यंग्य रचनाकार डॉ. प्रकाश, बस्तर ड्रीम्स के सम्पादक कृष एवं बस्तर ड्रीम्स के ही डिजाइनर राधेश्याम व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।
स्कूल में मनाया हिन्दी दिवस
साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर ने लगातार बस्तर जिले में अपनी साहित्यिक गतिविधियों से साहित्यिक हलचल मचा दी है। हिन्दी पखवाड़ा एवं दिनकर जयंती के अवसर पर 23 सितम्बर को हायर सेकेण्डरी स्कूल करंजी में काव्य गोष्ठी एवं परिचर्चा आयोजित की गयी। छात्रों ने अपने अद्भुत विचारों से उपस्थित साहित्यकारों को प्रभावित किया। स्कूल के प्राचार्य श्री रविन्द्र विश्वास ने स्कूल का भ्रमण कराया और दिखाया कि वो अपने कार्य के प्रति किस कदर समर्पित हैं। उनके स्कूल की साफ सफाई और व्यवस्था शानदार है। उनके खुद के प्रयासों से वैज्ञानिकों, साहित्यकारों, देश के समस्त प्रधानमंत्रियों व राष्ट्रपतियों, भारतरत्न प्राप्त विभूतियों की फोटो बनवा कर स्कूल के विभिन्न कक्षों में लगवाई हैं।
कवियों में जे.पी.दानी, नरेन्द्र पाढ़ी, विमल तिवारी, शशांक शेण्डे, चंद्रेश शर्मा, सनत जैन, बी.एल.सारस्वत के द्वारा काव्य पाठ किया गया। छ.ग. हिन्दी साहित्य परिषद जगदलपुर ईकाई के द्वारा समस्त छात्रों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किये गये। सनत जैन के द्वारा स्कूल लाइब्रेरी को दो पुस्तकें भी प्रदान की गईं।
जगदलपुर के कवियों ने शमां बांधा
आओ साथ चलो/एक बार फिर, देश को सोने की चिड़िया बना दें।/भ्रष्टाचार का अचार बना कर, भ्रष्टाचारियों को खिला दें/सूदखोरों और मुनाफाखोरों को आदमखोर बन/मिट्टी में मिला दें।
देश भक्ति के इस जज्बे के साथ साहित्य एवं कला समाज, जगदलपुर के कवियों ने बचेली की छत्तीसगढ़ साहित्य एवं क्रीडा समिति द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में धूम मचा दी। बचेली की इस समिति के महासचिव के.एल.वर्मा एवं समिति के अन्य सदस्यों द्वारा की गई शानदार व्यवस्था और शानदार साउण्ड सिस्टम के माध्यम से लगभग तीन घंटों तक दूर-दूर के लोगों ने कवि सम्मेलन का आनंद लिया।
युनूस भाई बचेली निवासी ने अपने कुशल मंच संचालन और ग़ज़ल प्रस्तुति से मन मोह लिया। हास्य कवि शशांक श्रीधर ने अपने चुटीले अंदाज में दहेज प्रथा पर चोट करते हुए कविता पढ़ी। तो दूसरी ओर रीना जैन ने अपने गीतों से मन मोह लिया। नरेन्द पाढ़ी ने अपनी हल्बी और हिन्दी की कविता से हंसाया। सुरेश चितेरा ने अपने गीतों से शमा बांधा और बचेली की कवियत्री शकुनतला शेण्डे ने अपनी सुरीली आवाज में कई गीत प्रस्तुत कर तालियां बटोरी। सनत जैन ने अपनी हास्य कविताओं से वहां उपस्थित जनसमुदाय को खूब हंसाया। उन्होंने अपनी देशभक्ति रचना कुछ यूं पढ़ी- आजकल खून में नहीं उबाल आ रहा है/क्योंकि पाकेट में दो नंबर का माल आ रहा है।
छत्तीसगढ़ साहित्य एवं क्रीडा समिति बचेली ने मुख्य अतिथि के बतौर मुख्य संयुक्त प्रबंधक (उत्पादन) श्री संजीव साही एवं मुख्य संयुक्त प्रबंधक (वित्त) श्री आर. मारकानी को आमंत्रित कर कार्यक्रम को गरीमामय बना दिया। सरस्वती वंदना दीप प्रज्ज्वलन एवं स्वागत अमृत लाल यदु, केतन साहू एवं के.एल.वर्मा आदि ने मुख्य अतिथियों के साथ संपन्न किया।