अंक-5-कविता कैसे बदले रूप

कविता का रूप कैसे बदलता है देखें जरा। नये रचनाकार ने लिखा था, नवीन प्रयास था इसलिए कसौटी पर खरा नहीं उतरा। उसी कविता को कैसे कसौटी पर खरा उतारें-

चींटी

अपनी सखी सहेलियों के साथ
चल पड़ी ढोने को सामान
न जाने कब से
वह ढो रही है सामान
अनुशासन के नियमों से बंधी
दीवार की झिर्रियां,
पत्थर के नीचे की पोली जमीन
या फिर
लकड़ियों का पोलापन
सभी जगह,
कहीं भी बना लेती है गोदाम
जहां वह रहती है
वो गोदाम नहीं
होता है घर।
लगातार की मेहनत
उसका लालच नहीं
कर्म के प्रति है लगन

यही कविता कुछ अन्य पंक्तियां जोड़ने पर देखें कैसे रूप बदलकर रोमांचित करती है-

या फिर
लकड़ियों का पोलापन
सभी जगह,
कहीं भी बना लेती है गोदाम
जहां वह रहती है
वो गोदाम नहीं
होता है घर।
लगातार की मेहनत
उसका लालच नहीं
कर्म के प्रति है लगन
वही छोटा जीव सिखाता है
हाथी से भी जीत जाना!