अंक-8-साहित्यिक उठापटक

नेता तू दया करके/चमचा मुझे बना लेना।


विराट उल्लू सम्मेलन जगदलपुर शहर में एक नई उत्तेजना के साथ बरसों तक याद किया जाने वाला कार्यक्रम साबित होगा। यह आयोजन बस्तर क्षेत्र के नये और पुराने कवियों को आम जनता के बीच अपनी पहचान साबित और स्थापित करने का माध्यम बना। उनकी छवि राष्ट्रीय स्तर के कवियों से कहीं कम नहीं, रात्रि बारह बजे तक उपस्थित जनता ने तालियां बजाकर साबित कर दिया। शशांक श्रीधर ने उल्लू के पट्ठे मुहावरे का विश्लेषण कर दर्शकों को समझाया कि हर घर में एक उल्लू विराजमान है। सनत जैन ने उल्लूराज की प्रगति के लिए नारे लगवाये कि खीर पूड़ी खायेंगे/ बेईमानी का राज लायेंगे।
उल्लूराज की स्थापना में छ.ग. वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्रीनिवास मद्दी जो कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे, ‘उल्लूराज’ में उन्हें वड़ा-पाव मंत्रालय प्रदान किया गया। उन्होंने अपना मंत्री पद संभालते ही बस्तर क्षेत्र में अनेक टैक्सफ्री वड़ापाव आउटलेट खोलने का आश्वासन दिया। शहर के महापौर श्री जतीन जायसवाल जी ने गुपचुप मंत्रालय की बागडोर संभालते ही महिलाओं को दस रूपये में बीस गुपचुप देने की योजना की घोषणा की। सुभाष वार्ड के स्मार्ट और एक्टिव पार्षद श्री रजनीश पानीग्राही ने अपना इश्क मंत्रालय बड़ी खुशी के साथ संभाला और इश्क को टैक्सफ्री कर दिया। पार्षद श्री यशवर्द्धन यशोदा को गढ्ढा मंत्रालय संभालने की जिम्मेदारी दी गई तो उन्होंने लोगों के दिलों के बीच गढ्ढों को पाटने की गंभीर बात कह दी। सर्वधर्म समाज के अध्यक्ष श्री रमेश जैन को उद्घाटन मंत्रालय की बागडोर दी गई। उन्होंने उल्लूराज के विकास के लिए अनेक नयी योजनाओं की घोषणा की। सर्व धर्म सामज के उपाध्यक्ष श्री सुधीर जैन ने अपने मंत्रालय के तहत अनेक घोषणायें की। बस्तर परिवहन संघ के अध्यक्ष श्री शक्तिसिंह को नशा मंत्रालय दिया गया तो वे खुशी से फूले न समाये और अपने मंत्रालय के माध्यम से सबसे ज्यादा राजस्व प्राप्ति की उपलब्धि गिनाई। श्री मनीष गुप्ता ब्यूरोचीफ नवभारत ने भी उल्लूराज में अपना मंत्रालय प्राप्त किया।
इसके बाद गरिमामय हास्य कवि सम्मेलन की शुरूआत शशांक शेण्डे ने अपने मंच संचालन के साथ की। श्रीमती रीना जैन ने अपने मधुर कंठ से होली गीत सुनाया-बिन होली के होली खेलो /चेहरे पर मलो गुलाल। भरत गंगादित्य की हल्बी कविता कुकुरगति पर उपस्थित जनसमुदाय ने भरपूर मजा लिया। गति गति कयक गति, मांतर गोटोक अऊर गति आय-कुकुरगति। कोण्डागांव से आये महेन्द्र जैन ने अपने हास्य रस के दोहों से हंसी का माहौल पैदा कर दिया।-जिसके दो पत्नी का पति होय, सिर पर हो बला/ एक बैठे नोट दबाये, दूसरी दबाये गला। नवोदित कवि बी.एल.सारस्वत ने नेताओं कटाक्ष करते हुए कहा कि मैं नेता हूं, मैं नेता हूं/ देता नहीं लेता हूं।
बचेली से पधारी शकुनतला शेण्डे ने अपनी प्यारी और मधुर आवाज में शमा बांध दिया और कार्यक्रम में जमकर तालियां बटोरी। बंजर न हो ये जमीं, बागान बना दे।/ मेरे खुदा तू इंसान को इंसान बना दे। मूलतः जांजगीर के रहने वाले और वर्तमान में बीजापुर में तहसीलदार के पद पर सुशोभित देवधर महंत जी ने ग़ज़ल को अपनी विशिष्ट शैली में प्रस्तुत कर शहर वासियों का दिल जीत लिया। पत्थर हृदय गलाकर लिखते हैं/ हम तन मन पिघलाकर लिखते हैं/आंसू और पसीने की क्या जरूरत/ हम तो लहू जलाकर लिखते हैं। राम बरन कोरी ने अपनी हज़ल यानी हास्य ग़ज़ल से तालियोें का ट्रक अपने नगर भिलाई लेकर गये। बानगी देखिए- नजरें मिली क्या, गुनाह हो गया/ दो चार दिनों में तबाह हो गया।/ किसी से कुछ छुपाने की जरूरत नहीं दोस्तों/सर के बालों का उड़ना गवाह हो गया। कोण्डागांव से आये हरेन्द्र यादव ने अपने लिए आकर्षक ढंग से तालियां बटोरी। कितनी तालियां बजवाओगे।/ क्या भोपाल की सैर करवाओगे/ और हम तो अपने को समझे थे शोला/ क्या अब शबनम मौसी बनवाओगे। इसके बाद डॉ कौशलेन्द्र ने वर्तमान परिस्थितियों को जोड़कर बताया कि ठगी गयी विद्यामन्दिर में, भारत की सरकार /आजादी के वेश में लेता, अपसंस्कार आकार /मर्यादा स्वीकार नहीं, आदर्श बना व्यभिचार /वैलेंटाइन पे, नथुनी उतार गयी रे !/ जेएनयू वाली आ के नैना मार गयी रे। जे पी दानी ने अपना किस्सा सुनाया कि किस तरह उन्हें डाक्टर ने कुत्ता साबित कर दिया। सुरेश चितेरा ने अपनी कविता जब घर के लोग बाहर होते हैं/ तब दरवाजे के दोनों पल्ले आपस में गले मिलकर रोते हैं सुनाकर अपने लिए वाहवाही लूटी। विमल तिवारी ने वनवासी-वनवासी की पैरोडी सुनाकर दर्शकों को हंसाया। पूर्णिमा सरोज ने होली पर आधारित अपनी कविता का पाठ किया।


साहित्य एवं कला समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम
साहित्य एवं कला समाज द्वारा लगातार अपनी उपस्थिति शहर के साहित्यिक परिदृश्य में बनाये रखी। 6 दिसम्बर 15 को बस्तर पाति प्रकाशन से प्रकाशित तीन पुस्तकों का विमोचन हुआ। उसके बाद 17 दिसम्बर 15 को बस्तर के साहित्यपिता श्री लाला जगदलपुरी की जंयति मनाई गई।
यह जयंति कार्यक्रम अभूतपूर्व था। इसमें शहर की नाट्य संस्थाओं ने भी अपनी सहभागिता निभाई। बी.एल.विश्वकर्मा (आकृति कला एवं साहित्य संस्था), सनत जैन (बस्तर पाति, साहित्य एवं कला समाज) के आयोजन ‘लाला जगदलपुरी जन्म समारोह-2015’ में उपस्थित बौद्धिक जनसमूह ने जता दिया कि लाला जगदलपुरी जी आज के जनमानस में भी आकर्षण के केन्द्र हैं, उनके संदर्भ में जानना और उनके योगदान को समझना हर किसी की दिली इच्छा है। दण्डकारण्य समाचार पत्र के स्वामी एवं प्रधान संपादक श्री तुषारकांति बोस, वरिष्ठ साहित्यकार श्री जयचंद्र जैन, महिला सरोकार की वरिष्ठ कवयित्री एवं प्राचार्या बस्तर हाई स्कूल श्रीमती सुषमा झा कार्यक्रम के मंचस्थ अतिथि थे। श्री जी.एस. मनमोहन ने अपनी मधुर आवाज और अपने साहित्यिक गांभीर्य से मंच संचालन करते हुए अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम में चिरस्मरणीय लालाजी के परिवार से उनके पुत्रवत श्री विनय श्रीवास्तव सपरिवार उपस्थित थे।
अतिथियों का परिचय दिया गया एवं स्वागत श्री बी.एल.विश्वकर्मा, श्री सनत जैन, श्री सुभाष पाण्डे ने पुष्पाहार से किया। इसके उपरांत लालाजी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर श्रीमती सुषमा झा, श्री तुषारकांति बोस, श्री एस के श्रीवास्तव एवं श्री एम.ए. रहीम ने प्रकाश डाला। कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में श्री हरिहर वैष्णव द्वारा लिखित एवं श्री सुभाष पाण्डे द्वारा निर्देशित हल्बी नाटक ‘बांडा बाघ’ का मंचन किया गया। इस नाटक के प्रतिभागी थे श्री नरेन्द्र पाढ़ी, श्रीमती सुन्दरा सिम्हा, श्री विक्रम सोनी, श्री बलबीर सिंह कच्छ और खुद श्री सुभाष पाण्डे। उपस्थित समस्त जनों की तालियों ने नाटक की सफलता बयान कर दी। कार्यक्रम के तीसरे चरण में काव्यगोष्ठी थी जिसका श्री अवध किशोर शर्मा जी ने अपने दोहो के माध्यम से कुशल संचालन कर श्रोताओं का मन मोह लिया। काव्यपाठ करने वाले कवि थे श्रीमती मोहिनी ठाकुर, श्रीमती शकुनतला शेण्डे (बचेली), श्रीमती पूर्णिमा सरोज, श्री सुरेश विश्वकर्मा, श्री नूर जगदलपुरी, श्री ऋषि शर्मा ऋषि, श्री राजेश थनथराटे, श्री शशांक शेण्डे, श्री विमल तिवारी, श्री चंद्रेश शर्मा, श्री नरेन्द्र यादव श्री रूपेन्द्र कवि, श्री अवध किशोर शर्मा, श्री जोगेन्द्र महापात्र जोगी, श्री नरेन्द्र पाढ़ी आदि थे। अन्य उपस्थित साहित्यकारों के नाम इस तरह हैं- डॉ योगेन्द्र सिंह राठौर, श्रीमती वंदना राठौर, श्री शरद चंद्र गौड़, श्री हिमांशु शेखर झा, श्री भरत गंगादित्य, श्री वसंत चव्हाण, श्रीमती गायत्री आचार्य, श्रीमती प्रीतम कौर, श्रीमती सरिता पाण्डे, श्रीमती अलवेनी राव, श्रीमती ममता जैन कादम्बरी संस्था से भी अनेक महिला समाज सेवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वरिष्ठ रंगमंच निर्देशक श्री खुर्शीद खान एवं फोटोग्राफर श्री शैलेष यादव भी उपस्थित थे।