बस्तर के लोकप्रिय गायक थे स्व. मेघनाथ पटनायक
जुहार जुहार गणेश देवता….., जय दुर्गा जय हो शरण शरण दुर्गा माय……., मण्डई दखुक लाय जांवा रे भोजली…., ये हल्बी गीत आकाशवाणी के जगदलपुर केन्द्र से सर्व प्रथम सन 1977 में प्रसारित हुए, जिसे गाया था अंचल के लोकप्रिय गायक मेघनाथ पटनायक ने। इनके द्वारा गाए हल्बी गीत रेडियो में लगातार बजने लगे जिसे बस्तर के श्रोताओं ने बेहद पसंद किया था।
दुर्गा वंदना के रचनाकार स्व. गणेश प्रसाद सामन्त थे जिन्होंने दुर्गा जी के साथ बस्तर अंचल के देवी देवताओं का स्मरण किया है। दखा दखा हो मचो बस्तर भूंई के……, गीत सन 1978 में प्रसारित हुआ था। इस गीत में मेघनाथ पटनायक ने बस्तर भूमि का गुणगान किया है। वे सन 1980, 81 एवं 82 में आकाशवाणी केन्द्र के वार्षिक आयोजन एवं अन्य अवसर पर गीत गाकर श्रोताओं का मनोरंजन करते रहे। आया मचो दंतेश्वरी, बुआ भैरम आय, भाई दण्डकार, बहिन इन्द्रावती, सुन्दर मचो, तुमके सरन आय…, यह गीत बस्तर की आराध्य देवी मां दन्तेश्वरी जी को समर्पित था जो उन दिनों रेडियो में बजा करता था। उन्होंने अंचल की जीवन दायिनी नदी इन्द्रावती, चित्रकोट जल प्रपात एवं बैलाडीला कारखाने की महिमा का गुणगान अपने हल्बी लोक गीतों के माध्यम से किया था- झर झर झरना बहे इन्द्रावती बस्तर चो रानी रे….., बैलाडीला चो कारखाना, रसीया चितर कोटी, मचो राज ने सपाय आसे, आय बस्तर माटी…।
लोक गायक ने बताया था कि उनके द्वारा गाये गीत- काय रसिया उदीगला जोन उदीया….., सन 1984 में आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र से लोक संगीत कार्यक्रम मे प्रसारित किया गया था तथा इस गीत के केसेट आकाशवाणी के जगदलपुर केन्द्र से लोक संगीत मेला में आस्ट्रेलिया भेजा गया था।
मेघनाथ पटनायक को बस्तर की धरती, देवी देवताओं, लोक संस्कृति एवं यहां की प्रकृति से गहन प्रेम था जिसे उन्हांने गीतों के माध्यम से व्यक्त किया है। उन्होंने विभिन्न सार्वजनिक मंचो में भी बस्तर के लोक गीत गाए थे। उनके गीत माधुर्यता से परिपूर्ण थे। गीत गाने की प्रेरणा उन्हें उनके बड़े भाई राधाकृष्ण से मिली थी जो गायक थे। वे जीवन पर्यन्त गीत गाते रहे। उनके सह गायक हेमलता देवांगन, चंचला अधिकारी, पार्वती बघेल, विजयलक्ष्मी दानी, गौरीशंकर पटनायक, सुन्दर लाल नायक आदि थे। उनके द्वारा गाये गए सदाबहार गीत हमेशा याद किए जाएंगे। स्व. मेघनाथ पटनायक आंचलिक गीतकार होने के साथ साथ ंबस्तर लोक संस्कृति के लोकप्रिय चित्रकार भी थे। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा लोक उत्सव के स्वागत द्वार पर उनके द्वारा आकर्षक चित्रकारी की जाती थी जिसमें बस्तर अंचल के लोक संस्कृति की झलक परिलक्षित हुआ करती थी।
शिवशंकर कुटारे
ग्राम व पोस्ट-लौहण्डीगुड़ा
जिला-बस्तर (छ.ग.)
मो.- 9406294695