यात्रा संस्मरण-संतोष श्रीवास्तव

डॉ. कामिल बुल्के के भारत प्रेम को सलाम – बेल्जियम
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बेल्जियम के डॉ. कामिल बुल्के ने भारत में रहकर अभूतपूर्व कार्य किये| उन्होंने रामकथा को अपनाया, अपनी तरह के महत्त्वपूर्ण शब्दकोष की रचना की और शोधकार्य किया| छुटपन में जब घर में कामिल बुल्के की चर्चा होती तो मैं उन्हें भारत का ही समझती थी| मेरा यह भ्रम कॉलेज के दिनों में जाकर टूटा|
हम जैसे ही बेल्जियम की ओर रवाना हुए एक अद्भुत बात देखी| फ्रांस का इंटरनेशनल एयरपोर्ट ऊपर था और उसके रनवे के नीचे से हमारी बस निकली| यानी नीचे सड़क ऊपर रनवे| चूक गये, सिर्फ एक मिनट पहले ही एक हवाईजहाज ने लैंड किया था| कोच की खिड़की से मैं ओझल होने तक रनवे को देखती रही| इसके आलावा भी बहुत कुछ पीछे छूटता जा रहा था| वह छूटा सब मन में समोकर मैंने आँखें हरे भरे जंगल पर टिका दीं| बेल्जियम को लोकल भाषा में बेल्जिक कहते हैं| ११७३३ स्क्वेयर माइल के क्षेत्र में फैले बेल्जियम की राजधानी है ब्रसेल्स| यहाँ की करेंसी यूरो है| फ्रेंच और फ्लेमिस भाषा बोली जाती है| आबादी दस मिलियन है| इस खूबसूरत देश को ‘पैराडाइज ऑफ नॉर्थ’ कहते हैं| यहाँ का राष्ट्रीय ध्वज नीले रंग का है जिसमें पीले सितारे बीचोंबीच चक्र के आकार में बने हैं|
ब्रसेल्स यूरोपियन यूनियन का हेडक्वार्टर है| रास्ते में एंट्रॉप सिटी से हम गुज़रे जहाँ हीरे का बहुत बड़ा बाज़ार है| कोयला, ग्लास और हीरे का व्यापार प्रमुख है| एंट्रॉप हरियाली में डूबा एक खूबसूरत शहर है जहाँ का मौसम बहुत ही सुहावना है| एंट्रॉप से मुझे अपनी छात्रा आशिता याद आ गई| उसके पिता का मुम्बई में हीरे का ही व्यापार है और इसी सिलसिले में वे सपरिवार यहाँ आते थे| बेल्जियम के दक्षिण में लाकन एरिया है| पूरा बेल्जियम नौ प्रदेशों में बँटा है| अब दसवें प्रदेश को भी मान्यता मिल गई है| यहाँ राजशाही भी चलती है और लोकशाही भी| याने राजा है, उसका सम्मान भी बहुत है लेकिन फिर भी लोकतंत्र है| वर्तमान राजा अल्बर्ट फर्स्ट है|
१९५८ में यहाँ यूनिवर्सल प्रदर्शनी हुई थी जिसमें लोहे के एक अंश को ६५०० करोड़ गुना बड़ा करके दर्शाया गया है| बस एटोमियम में रुक गई| बस से उतरकर मैंने सामने ही लोहे के अंश का अद्भुत दृश्य देखा| नौ विशाल गोले आपस में लोहे की रॉड से जुड़े ऐसे लग रहे थे जैसे किसी चित्रकार ने कोलाज बनाया हो| यह ३१० फीट ऊँचा और १०२ मीटर के घेरे में बनाया गया है| इसके नौ गोले बेल्जियम के नौ प्रदेशों के प्रतीक हैं| वहीँ एक फव्वारा है जो पल पल में दृश्य बदलता है| कभी छोटा, कभी बड़ा, कभी गोल, कभी ऊँचा| dejaunir coque telephonephone case walletelfbar vapenicotine free elf barlouis vuitton phone casewebsite
ब्रसेल्स का पुराना बसा हिस्सा पुराने स्थापत्य की याद दिलाता है| सड़कों पर ट्रामें चल रही हैं और तमाम बिल्डिंगें सटी सटी बनी है| ईटों की टाइल्स वाली दीवारें| कई इमारतें फ्रेंच स्टाइल में है तो कई इमारतों को देखकर जर्मनी याद आता है| वैसे यहाँ फ्रेंच, जर्मन और डच लोगों का भी राज्य था| उन सबने अपनी अपनी स्थापत्य कला से इमारतों का निर्माण किया था| इसका रखरखाव ऐसा है कि लगता ही नहीं कि ये १४वीं सदी में बनी है| लगता है जैसे अभी-अभी बनी हो| १४वीं सदी का अवर लेडी चर्च देख मुझे मरीन लाइन्स मुम्बई का अवर लेडी चर्च याद आ गया| पत्थर जड़ी सड़कों पर चलते हुए मैं देख रही हूँ, वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की इमारत, पुराना सेंट्रल रेल्वे स्टेशन, नया यूरो स्टेशन जहाँ से लंदन के लिए यूरो ट्रेन जाती है| बैंक ऑफ बेल्जियम, १२वीं से १४वीं सदी के बीच बना गोथिक कला का बेहतरीन नमूना सन माइकल कथीड्रल….. और ग्रैंड प्लेस….. विश्व का सबसे बड़ा और सबसे खूबसूरत चौक| किधर नज़रें डालूँ….. चारों ओर शानदार इमारतें, गोथिक कला से बना टाउन हॉल, म्युनिसिपल म्यूज़ियम, गिल्ड हाउस, रॉयल पैलेस, पैलेस ऑफ जस्टिस….. सभी स्लेटी, भूरे, सुनहले रंग की….. पूरा चौक छोटे छोटे चौकोर स्लेटी पत्थरों से जड़ा….. आगे बढ़ने पर पत्थर जड़ी सड़क पर चलते हुए दोनों ओर ढेर सारी दुकानें और फिर एक चौराहा| चौराहे के एक कोने में है एक छोटे बच्चे का आकर्षक फाउन्टेन मैनेकेन पि:स्टेच्यू जो कि आज ब्रसेल्स की पहचान बन चुका है| लगातार उसके छोटे से शिश्न से पानी की धार निकलती रहती है| ऐसा लगता है जैसे पेशाब कर रहा हो| इस बच्चे के बारे में तरह-तरह के मिथ प्रचलित हैं| एक मिथ के अनुसार इस बच्चे की वजह से यहाँ का राजा युद्ध में जीता| दूसरे के अनुसार इससे सैनिकों को प्रेरणा मिली| कोई इसे अनाथ बतलाता है जो भटकता हुआ ठीक इसी जगह रोते हुए मिला था जहाँ आज उसकी मूर्ति है| यह बच्चा ब्रसेल्स के लिए एक किंवदंती बन चुका है| इसकी छै: सौ पोशाकें हैं जो समय-समय पर इसे पहनाई जाती हैं| मैं देर तक फव्वारे के पास खड़ी रही| वहाँ भीड़ अधिक थी विदेशी पर्यटकों की| वापिसी में फिर उसी सड़क से हम लौटे….. तमाम चॉकलेट की दुकानें| यहाँ की चॉकलेट प्रसिद्ध है| अब वहाँ सड़क आ गई है| जहाँ पार्लियामेंट हाउस है काले ग्रिल पर सुनहले कंगूरों वाला| रॉयल पैलेस, रॉयल थियेटर, १८२० में बना ड्यूक बेबार्न का महल, अब इसे तोड़कर वर्तमान राजा के ऑफ़िसेज़ बनाये गये हैं| ड्यूक बेबार्न की विशाल मूर्ति घोड़े पर है| काले संगमरमर से बनी| वही है सेंट जेम्स चर्च, आर्ट म्यूजियम और ‘पैलेस द आर्ट्स’ जहाँ साहित्यिक कार्यक्रम होते हैं और लेखकों का जमावड़ा होता है| मैं देर तक उसे निहारती रही| जैसे अपनी सी कोई जगह अचानक मिल जाए या यह एहसास कि मैं जिसे देख रही हूँ, छू रही हूँ उससे मैं भी जुड़ी हूँ| उसी के आगे है जस्टिस पैलेस| यह पैलेस ऐसा है कि अंदर कैदियों के लिए जेल भी है| पैदल चलते हुए पेट्री द समलॉन पहुँच गये| यहाँ एक अद्भुत बगीचा है| बगीचे के चारों ओर की दीवार पर ४८ मूर्तियाँ हैं जो विभिन्न कारोबार की प्रतीक हैं| हम पहचान सकते हैं कि कौन धोबी है कौन मोची, लोहार, सुतार, बढ़ई, गायक, शिक्षक वगैरह है| इसे ट्रेड सिम्बोलिज्म कहते हैं| एक बिल्कुल गेटवे ऑफ इंडिया जैसी इमारत है| जब बेल्जियम १९१४ से १९४० तक युद्ध की विभीषिका से गुज़र रहा था, उस वक्त की याद में बना है यह स्मारक, वॉर मेमोरियल| फिर हम यूरोपीय कम्यूनिटी के इलाके रिंग रोड में आये| एक बहुत बड़ा फाउंटेन, मिलिट्री जनरल की काले पत्थर से बनी विशाल मूर्ति और सड़क के दोनों ओर छायादार लम्बे पेड़| यह सड़क हमें ले जाएगी एम्स्टरडम जो हॉलैंड की राजधानी है| एक ही दिन में दो देशों की यात्रा से मैं रोमांचित हूँ| यदि आप clothes के लिए बाज़ार में हैं, तो हमारा प्लेटफ़ॉर्म आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है! सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल!

संतोष श्रीवास्तव
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