भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान में हुआ कवि सम्मेलन

सनत कुमार जैन
दिनांक-13 अगस्त 2022

भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान में हुआ कवि सम्मेलन

 

स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव के अवसर पर 13 अगस्त 2022 को देश की सुरक्षा के लिये अपने प्राण को अपनी हथेली पर लेकर चलने वाले भूतपूर्व सैनिकों का साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर द्वारा सम्मान किया गया।
सी आर पी एफ की कोबरा बटालियन के डीआईजी श्री अखिलेश प्रसाद सिंह के मुख्य आतिथ्य में और ;बस्तर के गांधी’ पद्मश्री धर्मपाल सैनी के विशिष्ट आतिथ्य, साहित्यकार श्री जयचंद जैन, श्री आर बी सिंह पूर्व सीईओ जिला सहकारी बैंक बस्तर, प्रसिद्व समाज सेविका सुश्री अनिता राज, पर्यावरणविद समाजसेवक श्री सम्पत झा के आतिथ्य में तीन घंटे से भी ज्यादा समय तक चले कार्यक्रम में बस्तर संभाग के प्रसिद्व कवियों ने अपनी देशभक्ति की रचनाओं से सबका मन मोह लिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुये साहित्य एवं कला समाज के अध्यक्ष सनत सागर ने सैनिकों के लिये अपनी चार पंक्तियां प्रस्तुत की-
फूलों का नाम होता है/खुशबुओं का काम होता है / यही दुनिया की रीत है /करने वाला हमेशा गुमनाम होता है।
अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं ममता मधु द्वारा सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ ही कार्यक्रम की शुरूआत हुई। माता रूकमणी आश्रम की छात्राओं एवं शिक्षकों द्वारा स्वागत गीत और देशभक्ति गीत की प्रस्तुति दी गयी।
शहर के नामचीन गीतकार डॉ राजेश थनथराटे द्वारा भी देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया गया।
अपनी ओजपूर्ण कविताओं से छत्तीसगढ़ के हरिओम पवार बाबू बैरागी ने बगैर रूके काफी देर तक पढ़कर भूतपूर्व सैनिकों का मन मोह लिया। अपनी प्रसिद्व कविता ’मैं देश जोड़ने निकला हूं’ सुना कर खूब तालियां बटोरीं।
बारह भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों के बीच सी आर पी एफ कोबरा बटालियन के डीआईजी श्री सिंह ने अपने उद्बोधन में अपने अनुभव शेयर करते हुये कहा कि एक सैनिक अपनी नौकरी में रहते हुये देश की दुश्मनों से सुरक्षा करता है तो रिटायर होने के बाद अपने समाज में शांति स्थापित करने के कार्य ही करता है। हम जैसे इलाकों में काम करते हैं वहां का जीवन दयनीय होता है उसे देखकर वास्तव में दुख होता है।
समाज में सभी के पिता अपने बच्चों को स्कूल लेकर जाते नजर आते हैं और एक सैनिक का बेटा अपनी मां के साथ स्कूल जाता है। उसके सारे कार्यो की जिम्मेदारी मां की होती है। इससे ये पता चलता है कि सैनिक के साथ उसका पूरा परिवार त्यागपूर्ण जीवन जीता है। एक सैनिक का सम्मान करना उनका सम्मान नहीं बल्कि उनके द्वारा स्वयं का सम्मान करना होता है।
अंत में आपने कहा कि हमारे समाज के समाजसेवियों का प्रयास होना चाहिये कि बीहड़ों में रहने वाले वंचितों तक वे सारी सुविधाएं पहुंचें जो हमारे पास हैं। आपके उत्प्रेरक और संक्षिप्त उद्बोधन पर उपस्थित जनों ने तालियां बजा कर खूब समर्थन किया।
ममता मधु द्वारा प्रस्तुत नारी अस्मिता की कविता ’मैं एक नारी हूं / हां मैं एक चिंगारी हूं’ को तालियों का समर्थन मिला तो चारामा से पधारे सुभाष साहू जगदलपुरिया की कविता ’न तुम बड़े हो न तुम बड़े हो, जो सीमा पर खड़े हैं वो सबसे बड़े हैं’, ने सदन को तालियों से गूंजा दिया।
कार्यक्रम में भूतपूर्व सैनिक श्री अर्जुन पाण्डे, श्री ललित जोशी, श्री जितेन्द्र गुप्ता, श्री के एल कोष्टा, श्री दामू राम नाग, श्री कृष्ण राय, श्री राममूर्ति पाण्डे, श्री रामचंद्र, श्री श्यामसिंह, श्री विजय झा, श्री के के जान, श्री एन एन मिश्रा आने परिवार के साथ उपस्थित थे। आप सभी का अतिथियों द्वारा तिलक लगाकर श्रीफल व पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मान किया गया।
पद्मश्री धर्मपाल सैनी जी ने अपने उद्बोधन के दौरान दो बार भूतपूर्व सैनिकों को सैल्यूट कर सम्मान दिया। अपने अनुभवों को बताते हुये सैनिकों के जीवन से बेहद प्रभावित होने की बात की।
पर्यावरणविद संपत झा जी ने पर्यावरण के प्रति चिन्ता व्यक्त की और भूतपूर्व सैनिकों के सम्मान की आवश्यकता को प्रतिपादित करते हुये आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
गीदम से आयी युवा कवयित्री खुशबू कस्तूरी ने अपनी मधुर आवाज में बस्तर की संस्कृति और रहन सहन को प्रदर्शित कविता ’ये है बस्तर’ प्रस्तुत की तो गीदम से आये युवा कवि विशाल आवारा ने देशभक्ति रचनाओं को जोशिले अंदाज में पढ़कर सभा में खूब तालियां बजवाईं।
डॉ प्रकाश मूर्ति ने सस्वर अपनी देशभक्ति रचना का पाठ किया तो युवा कवि महेश तेन्नेटी ने अपनी रचनाओं का पाठ किया। मा. देव कुमार जैन ने अपनी प्यारी सी कविता पढ़ी तो शैफाली जैन ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में शहर साहित्यकार डॉ कौशलेन्द्र, विपिन बिहारी दास, श्रीमती शैल दुबे, श्रीमती अंजली तिवारी, श्रीमती सुकांति जायसवाल, राजकुमार जायसवाल शामिल हुये तो बुद्धिजीवियों संजीव शर्मा, शेखर शर्मा, बंटू पाण्डे आदि ने भी उपस्थ्ति दर्ज करवायी।
साहित्य एवं कला समाज जगदलपुर द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। विशिष्ट सहयोगी थे किशोर टाटिया, विश्वनाथ शर्मा श्री सुभाष राव आदि। बस्तर चेम्बर ऑफ कामर्स का आभार व्यक्त करने के उपरांत स्वल्पाहार किया गया।