कंचन सहाय वर्मा की कवितायेँ

इक सा

नारी सिर्फ षोड़सी या
बिहारी की नायिका नहीं
कोमलता की सुंदरतम कृति नहीं
दहेज की ज्वाला की समिधा नहीं
पराश्रिता अबला नहीं
अपितु एक बदली हुई धारा है
उसकी इच्छायें
उसका सुख-दुख
उसके चांद-तारे
मर्म की पहचान रखते हैं
वह नहीं हैं कठपुतली किसी के सहारे
आज की नारी छाया नहीं
वरन् एक क्रांति है
जिससे दिशाएं अपना स्वर सहलाती हैं
और बेजुबान टहनियां
आंधी में बदल जाती हैं।

अपना बस्तर

अपना प्यारा बस्तर भारत की शान है
स्वर्ग जैसी धरती अलबेली महान है।
तीरथगढ़, चित्रधारा, तामड़ाघूमर के साथ
देश का नियाग्रा चित्रकोट जलप्रपात है।
बारसूर, कुटुमसर, कैलाशगुफा की निराली आन है।
गोंचा, दशहरा की रथयात्रा देवउठनी,
दियारी, नवाखाई जैसे कई त्योहार हैं।
घोटुल में जीवनसाथी हैं मिलते
नगाड़े की थाप पर ग्रामीण नाचते
सींगों और पंखों की पगड़ी बांधे सिर पर
सिक्को, कौड़ियों की माला पहने गले में
यहां की संस्कृति की अपनी मिसाल है।
इमली, काजू, छिन्द, सल्फी के पेड़ संग
इमारती लकड़ियों के वृक्ष और वन की हरियाली
लौह, कोरंडम जैसे खनिजों की खान है।
कोसा वस्त्र, बांस, काष्ठ, लौहशिल्प, जूट उद्योग
इस अंचल की पहचान है।
दंतेवाड़ा की माई दंतेश्वरी का असीस है सब पर
हिन्दू, मुसलिम, सिख ईसाई रहते यहां मिलजुलकर
हर हाल में प्रसन्न रहते निश्छल व्यवहार है बस्तर की माटी के सभी संतान हैं।

कंचन सहाय वर्मा
ई-ई-31, इंद्रप्रस्थ,
रायपुरा, शुभ होण्डा के सामने, रिंग रोड, रायपुर छ.ग.
मो-9406075608