बस्तरः कुछ कविताएं
एक.
प्रश्न यह नहीं
वहां पहले नक्सली पहुंचे या पुलिस
प्रश्न यही है कि
इन दोनों की वहां
कोई ज़रूरत आन क्यों पड़ी ?
दो.
चाहे मरनेवाले मरें
चाहे बचानेवाले
दोनों स्वर्ग जाएंगे यह तो पता नहीं
पता सिर्फ इतना ही-
हर बार मरनेवाले अपने परिवार के लिए
नर्क छोड़ जाएंगे।
तीन.
जरा कान लगाकर सुनिए
सुबक-सुबक कर रो रहें हैं
नदिया, जंगल, पहाड़, चिड़िया
और पेड़ की आड़ में आदिवासी
इन सबके बीच
झूम-झूम कर गा रहा है क्रांतिकारी
यह तो यूं ही सुनाई दे रहा है।
चार.
वो मरहम-पट्टी करेंगे
आप उन्हें अपने दिल में बसा लेंगे
फिर धीरे-धीरे आप बिल्कुल
उनकी तरह चीजों को देखने लगेंगे
सपनों के लिए आप
कुछ दिन बाद
बम-बारूद से भी खेलने से नहीं हिचकचाएं
वह दिन भी आएगा
जब दोनों तरफ से घिरे होंगे
गोली कहीं से भी चले
मारे सिर्फ़ आप ही जाएंगे।
पांच.
दाईं ओर का कामरेड मार दिया जाए
या बाईं ओर का कमांडो
कुछ देर बाद
सबकुछ यथावत् हो उठता है
सिर्फ़ धरती की सिसकियां गूंजती रहती हैं
आसमान में दूर-दूर तक
जयप्रकाश मानस
एफ-3, आवासीय परिसर
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षामंडल
पेंशनवाड़ा, रायपुर
(छ.ग.)
मो.-094241-82664