अंक-4-पाठकों की चौपाल

प्रिय भाई सनत कुमार जैन
सप्रेम नमस्कार
आशा है आप सानंद एवं प्रसन्न होंगे। आपके द्वारा भेजी गई बस्तर पाति की प्रतियां प्राप्त हुइंर्। एक प्रति अपने पास रखकर शेष प्रतियां मैंने स्थानीय वाचनालय एवं साहित्यिक संस्थानों को आपकी ओर से भेंट कर दी है। मेरी रचना को महत्व देकर आपने अपनी पत्रिका में स्थान दिया इसके लिये कोटिशः धन्यवाद। पहला अंक जो आप दे गये थे एवं दूसरा अंक जो आपने अभी भेजा दोनों को अद्योपांत पढ़ा। आपका प्रयास प्रशंसनीय है। मेरा विचार है कि प्रूफ रीडिंग में और सजगता तथा प्रिंटिंग में सुधार आवश्यक है। विशेषकर काव्य में यदि एक मात्रा घट-बढ़ हो जाये तो उसका धाराप्रवाह बिगड़ जाता है। इस संबंध में नवल जायसवाल भोपाल ने आपको विशेष तौर पर लिखा है। आपने उनकी समझाईश पर ध्यान दिया तथा इसके लिये उनको धन्यवाद दिया, यह निश्चित रूप से आपकी महानता है। मेरी आपके प्रति अपनत्व की भावना है, इसलिये लिख दिया, बुरा न मानना, अन्यथा न लेना। यदि आपको अच्छा लगे एवं पाठकगण पसंद करें तो समाचार देना आगामी अंक के लिये रचना प्रेषित कर दूंगा।
आपकी इच्छा के अनुरूप पत्रिका निरंतर प्रगति करे, ऐसी मंगल कामना है-
फूले-फले जहां में तेरा नख्ले आरजू
दुआ बहार की शाखों शजर को देते है।
शुभाकांक्षी जैन करेलिवी, बालचंद जैन, कपड़ा व्यापारी, मेन रोड करेली, जिला नरसिंहपुर (म.प्र.),पिन 487221, मो-9977805981

आदरणीय जैन जी नमस्कार
आपने बस्तर पाति के विस्तार के लिए जो सहयोग किया उसका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके पत्र को पत्रिका में प्रकाशित कर रहा हूं आपकी इच्छा के विपरित, क्षमायाचना।

संपादक बस्तर पाति

आदरणीय सनत जी नमस्कार
सि.-न. अंक मिला। आभार। आवरण समेत सभी रचनाएं आदिवासी जीवन की संस्कृति, साहित्य व समस्याओं का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें पूरी ईमानदारी से उजागर कर उन पर समूचा प्रकाश डालती हैं। सभी रचनाकारों को बधाई। कृपया प्रूफ पर ध्यान दें। चित्रांकन उम्दा। एतेदर्थ आपको बधाई।

अशोक ‘आनन’ मक्सी-465106 जिला-शाजापुर, 09977644232

आदरणीय अशोक जी नमस्कार
बहुत-बहुत धन्यवाद। आपके सुझाव पर अवश्य कार्य किया जा रहा है।

संपादक बस्तर पाति

आदरणीय सनत जी नमस्कार
‘बस्तर पाति’ का पंचवर्षीय सदस्यता फार्म भरते हुए मुझे अत्यंत हर्ष हो रहा है। आपके अथक परिश्रम के कारण ही ‘बस्तर पाति’ त्रैमासिक पत्रिका अपने क्षेत्र छत्तीसगढ़ राज्य की सीमा पार करती हुई साहित्य एवं कला की सेवा हेतु सारे देश में प्रसारित एवं प्रचारित हो रही है। सदैव तन,मन,धन से सहयोग की हामी देते हुए उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।

मोहम्मद जिलानी, चंद्रपुर-442401 मो.-9850362608

आदरणीय जिलानी जी नमस्कार
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

संपादक बस्तर पाति

प्रिय सनत
बस्तर पाति का अंक -2 आद्योपांत पढ़ा। आज के जीवन की व्यस्त आपाधापी के बाद भी पत्रिका के निरंतर प्रकाशन के लिए आपको साधुवाद। पत्रिका में आपने पूरे देश का समेटने का प्रयास किया है।
हिन्दी के पाठकों के अभाव की चर्चा में आपने यह महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किया कि आज हिन्दी साहित्य एवं पत्रिकायें सामान्य पाठक की आर्थिक क्षमता से बाहर होते जा रही हैं इस अभाव की पूर्ति में ‘बस्तर पाति’ का महत्वपूर्ण योगदान होगा, ऐसी मेरी आशा है।
बस्तर अंचल के साहित्यकारों को अपनी पत्रिका में स्थान देकर उनका उत्साहवर्धन कर उन साहित्यकारों का मां भारती की सेवा करने का अवसर प्रदान करना एक सराहनीय प्रयास है, इस ‘बस्तर पाति’ के माध्यम से वे पूरे भारत से परिचित हों्रगे।
मोहिनी ठाकुर जी की कहानी धरोहर पढ़कर बड़ी टीस सी लगी, आज के बुढ़ापे की यादकर। प्रत्येक बेटी संवेदनशील होती है विशेषकर अपने मां-बाप के लिए।
आपकी साहित्य साधना के लिए साधुवाद। साहित्य के क्षेत्र में आपकी इस लगन का मैं कायल हूं। मेरी प्रभु से प्रार्थना है कि साहित्य साधना निरंतर बढ़ती रहे और आपको उन्नति के शिखर तक पहुंचाये।
जयचंद्र जैन, जैन मंदिर रोड, जगदलपुर मो-9425266070

आदरणीय चाचाजी नमस्कार
आपके द्वारा ‘बस्तर पाति’ की विस्तृत प्रतिक्रिया पढ़कर एवं आपकी सद्इच्छा जानकर निश्चिय ही हमारा उत्साह बढ़ा है और अपने उद्देश्य पर पहले से कहीं अधिक अडिग हो गये हैं। आपने अपने पत्र के माध्यम से ‘बस्तर पाति’ उद्देश्य पर प्रकाश डाला है। आपकी उत्साही प्रतिक्रिया हमेशा मिले। धन्यवाद।

संपादक बस्तर पाति

संपादक जी नमस्कार
आज आकाशवाणी में कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम प्रभारी की टेबल पर ‘बस्तर पाति’ देखकर बहुत अच्छा लगा-बस्तर जैसी जगह से साहित्यिक एवं वैचारिक मूल्यों की आप जो पत्रिका निकाल रहे हैं वह स्वागत योग्य है। देश से अनेक लघु पत्रिकाएं निकल रही हैं-आर्थिक अभाव में बिना विज्ञापनों से जूझते हुए ये लगातार समाज का कुछ नया देने का कार्य कर रही हैं। आज की व्यवसायिक पत्रिकाओं से अच्छे साहित्य -अच्छे विचार की आशा नहीं की जा सकती है।

डॉ.राजेन्द्र पटोरिया, आजाद चौक, सदर, नागपुर मो.-09421779906

संपादक जी नमस्कार
बस्तर पाति का सितम्बर-दिसम्बर अंक मिला। अभी पढ़ रहा हूं। संपादकीय में आम भारतीय परिवार क स्वरूप का सही चित्र अंकित किया गया है। भौतिकता की दौड़ में पारिवारिक मूल्यों और रिश्ते नातों का ताना-बाना बिखर गया है। वर्तमान पीढ़ी का यह सोचना चाहिए कि आखिर एक दिन वे भी बुजुर्गों की श्रेणी में आयेंगे। पीढ़ियों के मध्य परस्पर तारतम्य व समन्वय बना रहे तो परिवार और समाज से तमाम विसंगतियां यूं ही दूर हो जायेंगी। पत्रिका में विभिन्न विधाओं से संबंधित रचनाओं को स्थान देकर विविधता दी गयी है। बस्तर पाति छत्तीसगढ़ और संपूर्ण हिन्दी भाषी क्षेत्र के लिए नयी आशा की किरण बने यही मेरी कामना है।

मनीष कुमार सिंह, एफ-2, 4/273, वैशाली, गाजियाबाद, उ.प्र., पिन-201010 मो.-09868140022

संपादक की पाति
बस्तर वनाचंल को अपने में समेटे संपादक सनत जैन के अथक प्रयास, परिश्रम, कष्ट एवं श्रमसाध्य प्रतिफल के रूप में यह त्रैमासिक पत्रिका ‘बस्तर पाति’, सुधि पाठकों के सामने है। एक युवा व्यवसायी के अंतर का साहित्य सृजन सागर का उद्वेलित उद्याम दिगदर्शन यह पत्रिका है, जिसने बस्तर में अपना वजूद दम-खम के साथ स्थापित किया। सनत जैन ने बस्तर पाति का यह अंक एक विशिष्ट शीर्षक के साथ अपना संपादकीय शुरू किया। वे साधुवाद के पात्र हैं। आज जमाने की सबसे बड़ी ज्वलंत समस्या विकराल स्वरूप में सामने आ रही है जो भारतीय दर्शन का जीवन यह संस्कार चक्र बड़ी-बड़ी उपाधियों मानदो से विभूषित न करे परन्तु सुखमय संतुष्टि भरे जीवन के सभी सोपानों में स्थापित कर एक मानव एवं मनीषी की संज्ञा तो देता ही था। इसके प्रणेता निसंदेह हमारे बुजुर्ग होते थे, जिन्होंने जीवन को भरपूर जिया। अंतिम सांस तक शेर की तरह जिया, कर्तव्य निर्वहन नियमन में कहीं पीछे नहीं रहे परन्तु आज ‘हंसिया अपनी ही तरफ से काटता है’ की तर्ज पर आने वाली पीढ़ी उन्हें उपेक्षित तिरस्कृत करती जा रही है, स्वछंद निरंकुश होकर जीवन मूल्यों, मानवीय संवेदना से रहित रोबोट बनने के प्रयास में ये जीवन निष्प्राण एक कंकाल मात्र हो गया है। ऐसी ज्वलंत समस्या पर युवा संपादक ने शोधपरक बात कह डाली सरल सहज सीधे वाक्यों में, जो हर सुधि पाठक को झकझोर उसकी आत्मा को जागृत करेगा ही ऐसा लगता है। पत्रिका बस्तर पाति ने कम समय में ही नई-नई युवा प्रतिभाओं को स्थान देकर सराहनीय कार्य किया है। मुखपृष्ठ श्रीमती मोहिनी ठाकुर ने नयनाभिराम चित्रांकन से पत्रिका को आकर्षक बना दिया है। श्रीमती मोहिनी ठाकुर एवं श्री नरसिंह मोहंन्ती तो बस्तर पाति के कीर्तिस्तम्भ हैं ही। सम्पादक, प्रकाशक सभी को साधुवाद। भोपाल के श्री नवल जायसवाल जी जैसे पाठक व लेखक इस छोटे शहर की छोटी पत्रिका को परिष्करण एवं परिमार्जन से उन्नत उच्चकोटि की पत्रिका में प्रत्यावर्तित करने में सहाय हैं। साधुवाद।

बी.एन.आर.नायडू मेन रोड, जगदलपुर

आदरणीय नायडू सर, नमस्कार
सर आप न केवल बस्तर पाति के प्रशंसक हैं बल्कि एक शुभचिंतक भी हैं। आपके द्वारा ही हम जगदलपुर वासियों को शिक्षा का उच्च स्तर प्राप्त हुआ है। आज जो कुछ भी हैं आप सभी बस्तर हाई स्कूल के शिक्षकों का आर्शीवाद है। आज भी आप अपने उत्साही वचनों से उत्साह बढ़ाने की कोशिश में ही होते है। आप जैसे शिक्षकों के होते हुए ही जगदलपुर शहर एक नामचीन शहर है। न जाने कितने ही डॉक्टर, इंजीनियर, नौकरी पेशा और व्यापारी होंगे जो हमेशा आपके आर्शीवाद को याद कर मन ही मन नमन करते होंगे। आप यूं ही उत्साहवर्धन करते रहें। आपका आर्शीवाद सदैव बना रहे।

सनत जैन, संपादक बस्तर पाति

फोन-वार्ता
‘बस्तर पाति’ के आदरणीय पाठक, लेखक एवं शुभचिंतक, नमस्कार,
आप सभी का प्यार सदैव बना रहता है। अंक प्राप्ति के बाद प्रतिक्रिया संबंधी अनेक फोन, ई मेल, एसएमएस और पत्र आते हैं। यदि उन सभी को पत्रिका में स्थान दिया जाए तो आधी से ज्यादा पत्रिका उसी में ही भर जाएगी। हम इस अंक से एक नया कालम फोनवार्ता आरंभ करने का प्रयास कर रहे हैं। इस कालम में फोन पर हुई बातों का सार लिखा जाएगा। फिलहाल इस अंक में फोन करने वालों की सूची प्रकाशित कर रहे हैं।
श्री रामकुमार बेहार-
श्रीमती माधुरी राऊलकर, नागपुर
श्रीमती वंदना सहाय, नागपुर
श्रीमती कमलेश चौरसिया, नागपुर
श्रीमती किरणलता वैद्य, रायपुर
श्रीमती खादीजा खान, जगदलपुर
डॉ. आशा पाण्डेय, अमरावती
श्री कृष्ण कुमार अम्भोज
श्री बबनप्रसाद मिश्र, रायपुर
श्री देव भंडारी, कलिम्पोंग
श्री सुरेन्द्र हरडे
श्री लक्ष्मी नारायण पयोधि, भोपाल
श्री हिमांशु चौरसिया, नागपुर
श्री नारवी, दल्ली राजहरा
श्री पवन तनय हरि जौनपुर
श्री रमेश यादव, मुम्बई
श्री सुनील शर्मा रायपुर
श्री परदेशी राम वर्मा, भिलाई
श्री शिवराज प्रधान, 24 परगना
श्री सुनील शर्मा, रायपुर
श्री थानसिंह वर्मा, बीजापुर
श्री पुरषोत्तम चंद्राकर, बीजापुर
पूनम वासम, बीजापुर
डॉ. श्रीहरि वाणी,
श्रीमती विभा रश्मि भटनागर, जयपुर
डॉ. सुरेश तिवारी, तोकापाल, जगदलपुर
श्री सुरेश विश्वकर्मा, जगदलपुर
श्री दादा जोकाल, दंतेवाडा
श्री हरिहर वैष्णव, कोण्डागांव
श्री जय मरकाम, मारडूम
श्री के एल वर्मा, बचेली
श्री वी. के. वर्मा, अम्बिकापुर
श्री वीर राजा बाबू, भोपाल पटनम
ई-मेल
श्री शिवराज प्रधान
श्री पवन तनय हरि
श्री शिवेन्द्र यादव, जगदलपुर
श्री कृपाल देवांगन, जगदलपुर
श्री रेखराम साहू, जगदलपुर
श्री पीयूष कुमार द्विवेदी, चित्रकूट, उ.प्र.
श्री दिवाकर दत्त त्रिपाठी
श्री शिशिर द्विवेदी